ओशो कहते हैं: ‘‘शेख फरीद प्रेम के पथिक हैं, और जैसा प्रेम का गीत फरीद ने गाया है वैसा किसी ने नहीं गाया। कबीर भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन ध्यान की भी बात करते हैं। दादू भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन ध्यान की बात को बिलकुल भूल नहीं जाते। नानक भी प्रेम की बात करते हैं, लेकिन वह ध्यान से मिश्रित है। फरीद ने शुद्ध प्रेम के गीत गाए हैं; ध्यान की बात ही नहीं की है; प्रेम में ही ध्यान जाना है। इसलिए प्रेम की इतनी शुद्ध कहानी कहीं और न मिलेगी। फरीद खालिस प्रेम हैं। प्रेम को समझ लिया तो फरीद को समझ लिया। फरीद को समझ लिया तो प्रेम को समझ लिया।’’
अनुक्रम
1: फरीद: खालिस प्रेम
2: मैं तुमसे बोल रहा हूं
3: प्रेम प्रसाद है
4: धर्म समर्पण है
5: साईं मेरे चंगा कीता
6: धर्म: एकमात्र क्रांति
7: धर्म मोक्ष है
8: प्रेम महामृत्यु है
9: इसी क्षण उत्सव है
10: समाधि समाधान है
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