Author – Prof. Suryaprasad Dixit
ISBN – 9789352295739
Lang. – Hindi
Pages –320
Binding – PB
Awadh Sanskriti Vishwakosh – 1
प्राचीन अवध के अन्तर्गत इन आठ राज्यों का उल्लेख प्राप्त होता है-1. वत्स 2. कौशाम्बी 3. कोसल-साकेत 4. श्रावस्ती 5. कान्यकुब्ज 6. अन्तर्वेद 7. भारशिव (बैसवारा) 8. शर्की (जौनपुर)। यही रामराज्य की वास्तविक परिधि थी। यद्यपि कवियों ने रामराज्य को देश-देशान्तर तक व्याप्त दिखाया है, किन्तु वह मंगलाशा मात्र है। गोस्वामी जी ने लिखा है- “सप्तद्वीप सागर मेखला” किन्तु यह कथन एक प्रकार की कवि प्रौढ़ोक्ति है। अकबर ने पूरे मुगल राज्य को 1590 ई. में कुल 12 सूबों में बाँटा था। सूबाए औध में 5 सरकारें थीं-लखनऊ, फैजाबाद, खैराबाद, बहराइच, गोरखपुर। बाद में गोरखपुर अलग कमिश्नरी से जुड़ गया। मध्यकाल में अयोध्या पर समय-समय पर कई वंशों ने राज्य किया, जिनमें मुख्य हैं-1. खिलजी वंश 2. तुगलक वंश 3. मुगल वंश 4. सोलंकी राजा 5. कान्यकुब्ज नरेश 6. परिहार वंश 7. लोदी वंश 8. गहरवार वंश 9. नवाबी शासन। अंग्रेजी शासन में अवध के भीतर सुल्तानपुर, जौनपुर, प्रतापगढ़, टाँडा और मानिकपुर को सम्मिलित कर लिया गया और गोरखपुर को पृथक कर दिया गया। बाद में अयोध्या पर शाकद्वीपीय राजाओं का अधिकार रहा। लाला सीताराम ने ‘अयोध्या का इतिहास’ में इन सबका विस्तृत विवरण दिया है। इस विशाल क्षेत्र का भौगोलिक परिवेश अत्यन्त बहुरंगी तथा सुरम्य है। इसकी अधिकांश भूमि वनों से ढकी है। भूवैज्ञानिक संरचना की दृष्टि से यह क्षेत्र कई हिस्सों में बँटा है। इस क्षेत्र का काफी भाग हिमालय की तराई (गाँजर) क्षेत्र में आता है। खीरी, बहराइच, गोण्डा, बलरामपुर, सीतापुर, श्रावस्ती जिले इसी गाँजर क्षेत्र के जिले हैं। उत्तर में यह हिमालय की एक समानान्तर श्रेणी है। दूसरा क्षेत्र गंगा यमुना का मैदान (दोआबा) कहलाता है।
Rs.500.00
Weight | .700 kg |
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Dimensions | 8.50 × 5.51 × 1.57 in |
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