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Bharat Ka Rashtradharm (PB)


“राष्ट्र की चिति और राष्ट्रधर्म

सत्य तो यह है कि यह सुनिश्चित करना असंभव है कि भारत के सुदीर्घ राष्ट्रजीवन के पुण्य प्रवाह में राष्ट्रधर्म की अवधारणा कब अंकुरित हो गई।

शायद तब, जब पर्वतराज हिमालय के उत्तुंग शिखरों पर स्थित गहन गुफा में समाधिस्थ आदियोगी ने ॐ का उद्घोष कर आँख खोलते ही स्वयं से प्रश्न किया-कोऽहं ? तथा तुरंत स्वयं ही उत्तर भी दे दिया- सोऽहं !

या तब, जब महासागर की अपार जलराशि पर तैरती लघुकाय मछली की कातर पुकार सुनकर करुणा-विगलित वैवस्वत मनु ने उसे अपने कमंडल की रक्षा-परिधि में लेकर जीवमात्र के जीने के अधिकार को ही स्वीकृति नहीं दी, अपितु निर्बल की रक्षा करना मनुष्यमात्र का दायित्व भी निर्धारित कर दिया।

अथवा तब, जब ऋषिमुख से देववाणी फूट पड़ी-‘एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति’, अर्थात् सत्य एक है, अविभाज्य है, सार्वदेशिक है, सार्वकालिक है। विद्वान् लोग अपनी-अपनी मति अनुसार उसकी व्याख्या करते हैं। ऐसा करना उनका अधिकार भी है।”

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आनन्द आदीश
जन्म : 30 नवंबर, 1937, उत्तर प्रदेश के जिला मेरठ (अब बागपत) के अंतर्गत ग्राम खेकड़ा के संभ्रांत, सुशिक्षित, समाजसेवी, जमींदार, वैष्णव परिवार में।
माता-पिता : श्रीमती ब्रह्म देवी (स्वर्गीय), श्री आशारामजी (स्वर्गीय) ।
शिक्षा : हिंदी, अंग्रेजी एवं शिक्षा विषयों में स्नातकोत्तर तथा शोधार्थी ।
पद/दायित्व : पूर्व प्राचार्य, निदेशक, ब्यूरो ऑफ टैक्स्ट बुक्स; सदस्य, हिंदी अकादमी, दिल्ली; राष्ट्रीय महासचिव, अखिल भारतीय साहित्य परिषद् ।
प्रकाशन : हिंदी एवं अंग्रेजी भाषा में एक दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित ।
संप्रति : स्वान्तः सुखाय स्वाध्याय एवं स्वतंत्र लेखन ।

Weight 0.50 kg
Dimensions 8.7 × 5.5 × 1.5 in

Author Aanand Aadeesh
ISBN 9789355629272
Language Hindi
Publisher Prabhat Prakashan
Edition 1st
Publication Year 2024
Number of pages 200
Binding Style Soft Cover

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