VIRENDRA KUMAR PANDEY
वीरेन्द्र कुमार पाण्डेय
जन्म : 11 जनवरी 1954
शिक्षा : एम.एससी. (फिजिक्स), इलाहाबाद विश्वविद्यालय।
गतिविधियाँ : पंजाब नेशनल बैंक के मुख्य प्रबंधक पद से 2014 में सेवानिवृत्त।
साहित्य सेवा : वर्ष 2012 में ‘द्रौपदी का अग्निपथ’ प्रकाशित।
वर्तमान पता : 2-296, एम.आई.जी., आवास विकास कॉलोनी योजना-3, झूसी, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश
BHARAT KE ATEET KI KHOJ
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भारत के अतीत की खोज
भारतीय धर्म ग्रंथ यह स्पष्ट संदेश देते हैं कि आधुनिक इतिहासकार जिन्हें भारतीय आर्य कहते हैं वे प्रथमत: हिमालय के उस पार के पर्वतीय अंचल में रहते थे। सीमित संसाधन और बढ़ते जन-घनत्व के कारण यहाँ के लोग हिमालय के इस पार आने और बसने लगे। ये लोग मुख्य रूप से दो शाखाओं में बँटकर दो भिन्न कालों में आये। एक शाखा कश्मीर में (हिमालय के आर-पार) बसी और दूसरी शाखा सरस्वती एवं सिन्धु के मैदानी भागों में जगह-जगह आबाद हुई। इन्हीं लोगों ने तथाकथित सिन्धु घाटी सभ्यता को जन्म दिया।
पौराणिक साक्ष्यों के अनुसार 3200-3100 ई.पू. में कश्मीर मंडल में एक महाप्रलय आया और बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए। उनमें से एक समूह सरस्वती के पार कुरुक्षेत्र में अपना राज्य स्थापित किये। समय के साथ इनका राज्य पूरे भारत में फैल गया। इन्हीं लोगों ने सर्वप्रथम अपने को आर्य घोषित किया और इसी वंश के एक प्रतापी राजा भरत के नाम पर इस देश का नाम भारत पड़ा। इस प्रकार आर्य और भारत दोनो समानार्थी शब्द हैं।
अतएव शब्द आर्य भारत की शाब्दिक सम्पत्ति है, इसे भारतीयों ने जन्म दिया, कभी प्रजाति के अर्थ में प्रयोग नहीं किया, इसे केवल श्रेष्ठता के अर्थ में प्रयोग किया जाता रहा है और इतिहास को इसी अर्थ में इसे संरक्षित करना चाहिए। इसलिए किसी अन्य देश का इसपर कोई दावा नहीं बनता है और न ही किसी इतिहासकार द्वारा किसी भी अन्य देश में आर्यों के मूल स्थान को ढूँढ़ने का आधार प्रदान करता है।
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Weight | 0.425 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Virendra Kumar Pandey
ISBN : 9789390625000
Language : HINDI
Publisher: Lokbharti Prakashan
Binding : hB
Pages : 230
WEIGHT : 0.470Kg
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