Author: Shankar Sharan
Bharat par Karl Marx aur Marxvadi Itihas Lekhan
Author: Shankar Sharan
Rs.405.00 Rs.450.00
Weight | .400 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
Author: Shankar Sharan
Publisher: Akshaya Prakashan
Year: 2019
Binding: (HB)
ISBN: 9788188643721
Pages: 251
Language: Hindi
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
Related products
-
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Rashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra (PB)
Prabhat Prakashan, अन्य कथेतर साहित्य, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्रRashtriya Swayamsevak Sangh : Swarnim Bharat Ke Disha-Sootra (PB)
0 out of 5(0)यद्यपि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दीर्घ-यात्रा पर अनेक पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, फिर भी संघ सदैव ही सुर्खियों में रहता है। हाल के दिनों में संघ के कामकाज को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है, क्योंकि एक ओर इन दिनों में बहुत से स्वयंसेवक सरकार में शीर्ष पदों पर पहुँचे हैं, वहीं दूसरी ओर संघ के हिंदू-राष्ट्र और एकात्मता के मूल विचार अब हमारे सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र की मुख्यधारा बन गए हैं। भारत के लिए संघ का दृष्टिकोण क्या है? यदि भारत एक हिंदू-राष्ट्र बन जाता है, तो इसमें मुसलमानों और अन्य धर्मों का क्या स्थान होगा? इतिहास-लेखन की संघ की परियोजना कितनी बड़ी है? क्या हिंदुत्व जाति की राजनीति को खत्म कर देगा? परिवार की बदलती प्रकृति और विभिन्न सामाजिक अधिकारों पसंघ का क्या दृष्टिकोण है? संघ के वरिष्ठ प्रचारक सुनील आंबेकरजी ने इस पुस्तक में इन सवालों का विश्लेषण किया है। आंबेकरजी को तथ्यों की गहरी समझ है, इसी कारण से वे विचार की स्पष्टता और उसके विस्तार, दोनों पर ध्यान केंद्रित करने में सफल हुए हैं। एक स्वयंसेवक के रूप में उन्होंने शाखा पद्धति में कार्य किया है और उसे अपने जीवन में जिया है, उसी के आधार पर संघ की आंतरिक कार्य-प्रणाली, निर्णय-प्रक्रिया और समन्वयक-दृष्टि पर गहराई से दृष्टिपात किया है। वास्तविक जीवन के अनुभवों से भरपूर ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ : स्वर्णिम भारत के दिशा-सूत्र’ उन सभी के लिए एक पठनीय पुस्तक है, जो संघ-शक्ति की कार्यप्रणाली और इसकी भविष्य की योजनाओं को समझने के इच्छुक हैं।
SKU: n/a -
Yash Publication, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र
Raktanchal Bengal ki Raktcharitra Rajniti
0 out of 5(0)पुस्तक के बारे मै
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी के 2011 में मुख्यमंत्री बनने के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा बंद होने की संभावना जताई गई थी। ममता बनर्जी के राज में हर चुनाव में विरोधी दलों की राजनीतिक हिंसा की आशंका सच साबित हुईं हैं। पुस्तक में 2014 के लोकसभा और 2016 के विधानसभा चुनाव के साथ उपचुनावों में हिंसा व धांधली की घटनाओं का विस्तार से उल्लेख किया गया है। 2011 से 2018 तक राजनीतिक कारणों से हत्या और संघर्षों की विस्तृत जानकारी दी गई है। पुस्तक बताती है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता कटमनी, सिंडीकेट को लेकर संघर्ष, ठेके कब्जाने के लिए खूनखराबा, रंगदारी वसूलने और अवैध धंधों पर कब्जा करने के लिए किस तरह एक-दूसरे को काटते रहे और बमों से उड़ाते रहे। वर्चस्व बनाए रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस ने आंतक फैलाने के लिए माकपा, कांग्रेस और फिर भाजपा के कार्यकर्ताओं का किस तरह कत्ल किया। विरोधियों को सबक सिखाने के लिए महिलाओं के साथ बलात्कार, बच्चों की पिटाई और घरों को आग लगाने की घटनाओं के उदाहरण के साथ बंगाल की रक्तचरित्र राजनीति का पुस्तक में पूरी बेबाकी और निष्पक्षता से खुलासा किया गया है। राजनीतिक हिंसा पर मुख्यमंत्री का राज्यपालों से टकराव पर सटीक विश्लेषण के साथ ममता बनर्जी के जीवन और राजनीति पर गहराई से आकलन किया गया है।
SKU: n/a -
Kapot Prakashan, On Sale, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
-33%Kapot Prakashan, On Sale, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
Rated 5.00 out of 5(3)THE AUTHOR
संदीप देव
संदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
SKU: n/a
There are no reviews yet.