भारतेन्दु हरिश्चन्द्र : एक व्यक्तित्व चित्र
Bhartendu Harishchandra : Ek Vyaktittva Chitra
हिन्दी नवजागरण के प्रथम पुरुष, युग-प्रवर्तक, सर्वतोमुखी प्रतिभासम्पन्न भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जीवन अत्यन्त विविधतापूर्ण और रसमय था। उनके साहित्य में उनका व्यक्तित्व झलकता है। 35 वर्ष के लघु जीवन में उन्होंने देश को, समाज को, साहित्य को नई दिशा प्रदान की। पत्र-पत्रिकाएँ, साहित्यिक कृतियाँ उनकी आत्म प्रकृति की सुरभि बिखेरती हैं। भारतेन्दु की दानशीलता, रसिकता, अक्खड़पन, मुक्तहस्त पैसा लुटाने की प्रवृत्ति, उनके व्यक्तित्व के प्रमुख अंग हैं। स्वाभिमान ऐसा कि— सेवक गुनीजन के, चाकर चतुर के हैं, कविन के मीत, चित हित गुन गानी के। सीधेन सों सीधे, महा बांके हम बांकेन सों, ‘हरिचन्द’ नगद दमाद अभिमानी के। चाहिबे की चाह, काहू की न परवाह, नेही, नेह के, दिवाने सदा सूरति-निवानी के। सरबस रसिक के, सुदास दास प्रेमिन के, सखा प्यारे कृष्ण के, गुलाम राधा रानी के। दानशीलता के फलस्वरूप यह दिन भी देखना पड़ा— मोहि न धन के सोच भाग्य बस होत जात धन। पुनि निरधन सो देस न होत यहौ गुनि गुनि धन। मों कहं एक दुख यह जू प्रेमिन ह्वïै मोहे त्याग्यौ। बिना द्रव्य के स्वानहु नङ्क्षह मोसो अनुराग्यौ॥ सब मिलन छोड़ी मित्रता बन्धुन नातौ तज्यों। जो दास रह्यïौ मम गेह को, मिलन हूँ मैं अब सो लज्यौ॥ ‘घर फूँक तमाशा देख’ को चरितार्थ करने वाले ऐसे उन्मुक्त अभिमानी के मनमोहक संघर्षपूर्ण व्यक्तित्व की झलकियाँ हैं, इस कृति में। अनुक्रमणिका आमुख, 1. विषय-प्रवेश, 2. व्यक्तित्व के विविध रंग, रचनाओं में आत्मचित्रण, माधवी और मल्लिका, सत्यवीर की अग्नि-परीक्षा, 3. कृतित्व के विविध आयाम, हिन्दी नाटकों के जन्मदाता, हिन्दी में सिद्धान्तनिष्ठ पत्रकारिता के प्रवर्तक, हिन्दी गद्य के परिष्कारक, निबन्ध इतिहास तथा पुरातत्त्ïव, 4. उपसंहार, एक देशभक्त की दु:खान्त जीवन-यात्रा, परिशिष्ट, भारतेन्दु जीवन-सारिणी—प्रस्तुति : डॉ० भानुशंकर मेहता, भारतेन्दु की हिन्दी-सेवा—ज्ञानचंद जैन , भारतेन्दु की प्रेमिका मल्लिका द्वारा भारतेन्दु की जन्मतिथि पर प्रस्तुत चार बंगला गीत, 4. चन्द्रास्त, 5. शाही राज्याभिषेक दरबार में भारतेन्दु परिवार का परिचय, लेखक का संक्षिप्त परिचय।
Rs.190.00
Weight | .350 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Gyan Chand Jain
PUBLISHER : Vishwavidyalaya Prakashan
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 8171243614
BINDING : (HB)
PAGES : 166
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