भारतीय प्राचीन लिपिमाला
Author : Gaurishankar Hirachand Ojha
Language : Hindi, English
ISBN : 9789385593710
Edition : 2018
Publisher : RG GROUP
Bhartiya Prachin Lipimala
भारतीय प्राचीन लिपिमाला (The Palaeography of India) : एशिआटिक सोसाइटी बंगाल के द्वारा कार्य आरंभ होते ही कई विद्धान अपनी रूचि के अनुसार भिन्न-भिन्न विषयों के शोध में लगे। कितने ही विद्धानों ने यहां के ऐतिहासिक शोध में लग कर प्राचीन शिलालेख, दानपत्र और सिक्कों का टटोलना शुरू किया, इस प्रकार भारतवर्ष की प्राचीन लिपियों पर विद्धानों की दृष्टि पड़ी, भारत वर्ष जैसे विशाल देश में लेखन शैली के प्रवाह ने लेखकों की भिन्न रूचि के अनुसार भिन्न-भिन्न मार्ग ग्रहण किये थे, जिससे प्राचीन ब्राह्मी लिपि से गुप्त, कुटिल, नागरी, शारदा, बंगला, पश्चिमी, मध्यप्रदेशी, तेलुगु-कनड़ी, ग्रंथ, कलिंग तमिल आदि अनेक लिपियां निकली और समय-समय पर उनके कई रूपांतर होते गये, जिससे सारे देश की प्राचीन लिपियों का पढना कठिन हो गया था; परंतु चार्ल्स विल्किन्स, पंडित राधाकांत शर्मा, कर्नल जैम्स टॉड के गुरू यति ज्ञान चन्द्र, डॉ. बी.जी. बॅबिंगटन, वॉल्टर इलिअट, डॉ. मिल, डबल्यू. एच. वॉथन, जैम्स प्रिन्सेप आदि विद्धानों ने ब्राह्मी और उससे निकली हुई उपयुक्त लिपियों को बड़े परिश्रम से पढ़कर उनकी वर्ण मालाओं का ज्ञान प्राप्त किया। इसी तरह जैम्स प्रिन्सेप, मि. नॉरिस तथा जनरल कनिंग्हाम आदि विद्धानों के श्रम से विदेशी खरोष्टी लिपि की वर्णमाला भी मालूम हो गई। इन सब विद्धानों का यत्न प्रशंसनीय है परंतु जैम्स प्रिन्सेप का अगाध श्रम, जिससे अशोक के समय की ब्राह्मी लिपि का तथा खरोष्ठी लिपि के कई अक्षरों का ज्ञान प्राप्त हुआ, विशेष प्रशंसा के योग्य है।
Rs.535.00 Rs.595.00
Weight | 0.810 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
There are no reviews yet.