डॉ. श्याम सिंह तँवर, एम.ए. (इतिहास व अंग्रेजी) पी-एच. डी., राजस्थान के राजकीय कॉलेजों में ऐसोशिएट प्रोफेसर पद से सेवानिवोपरांत इतिहास का गहन पठन-पाठन कर अंग्रेजों द्वारा भारत के आधुनिक इतिहास को कितना तोड़ा-मरोड़ा, उसका आकलन कर भारत के यथार्थपरक आधारभूत मौलिक इतिहास को नए सिरे से लिखने का प्रयास कर रहे हैं।
एक पुस्तक ‘भारतीय स्वतंत्रता के पितामह सुभाषचंद्र बोस—अपनों ने ही भुलाया’ 2016 में प्रकाशित।
श्रीमती मृदुलता हिंदी साहित्य व हिंदी भाषा जगत् में पर्याप्त दक्षता और निपुणता प्राप्त कर अपना एकाकी स्थान व अलग व्यतिगत पहचान बना रखी है। इतिहास का लेखन उनको विरासत में मिला है। पिताश्री मांगीलाल जी महेचा, एम.ए., एल.एल.बी. ने राजस्थान के अतिरित कमिश्नर के उच्च पद से सेवानिवृत होकर एक कालजयी ऐतिहासिक कृति ‘राजस्थान के राजपूत— उत्थान और पतन’ का सृजन कर समाज व राष्ट्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया। मृदुलता ने सारी पुस्तक की भाषा को ओज का लावण्य प्रदान कर अपने ऐतिहासिक क्षेत्र के प्रथम प्रयास को सफलीभूत किया है।
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