Dharmaputra | धर्मपुत्र
Chatursen, Acharya | आचार्य चतुरसेन
धर्मपुत्र मनुष्य की अस्मिता के बारे में मूल प्रश्न उठाता है-क्या किसी इंसान का अस्तित्व इस बात पर निर्भर है कि वह किस परिवार में जन्मा या उसे किस प्रकार की शिक्षा संस्कार दिए गए या फिर इंसान की अस्मिता धर्म, शिक्षा और संस्कारों से परे इंसानियत से जुड़े जीवन-मूल्यों से है। यह कहानी है हिन्दू और मुसलमान परिवार की जिनका आपस में प्रेम भरा संबंध है। मुस्लिम परिवार की जवान लड़की की नाजायज़ औलाद को हिन्दू परिवार अपना लेता है और हिन्दू संस्कारों से उसका पालन-पोषण करता है। जवान होते-होते यह लड़का कट्टर हिन्दू बन जाता है और उसकी धारणा है कि मुसलमानों को भारत छोड़ देना चाहिए। इसी दौरान उसे अपनी जन्म देने वाली मां की सच्चाई का पता चलता है। मां और बेटे के आपसी संबंध होने के बावजूद वे नदी के दो अलग-अलग किनारों की तरह खड़े हैं और बीच में घृणा और अविश्वास की सुलगती नदी बह रही है। मशहूर फ़िल्म-निर्माता यश चोपड़ा ने 1961 में इस उपन्यास पर इसी नाम से फ़िल्म बनाई थी जो बहुत ही लोकप्रिय हुई थी।
Rs.215.00
Dharmaputra | धर्मपुत्र
Chatursen, Acharya | आचार्य चतुरसेन
Weight | .300 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Acharya Chatursen
PUBLISHER : Rajpal and Sons
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 9788170288428
BINDING : (HB)
PAGES : 160
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