Author – Deokinandan Gautam
ISBN – 9789350482650
Language – Hindi
Pages – 232
Deokinandan Gautam
Rs.255.00 Rs.300.00
Author – Deokinandan Gautam
ISBN – 9789350482650
Language – Hindi
Pages – 232
Weight | .280 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
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स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिदूत नेताजी सुभाषचंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। बचपन से ही सुभाष पढ़ाई में बडे़ कुशाग्र बुद्धि के थे। इंग्लैंड से पढ़ाई करके लौटने पर सुभाष कलकत्ता के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी देशबंधु चित्तरंजन दास के साथ काम करना चाहते थे। उन दिनों गांधीजी ने अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ रखा था। उनके साथ सुभाष बाबू उस आंदोलन में सहभागी हो गए और जल्द ही देश के एक महत्त्वपूर्ण युवा नेता बन गए। सन् 1928 में जब साइमन कमीशन भारत आया तो कलकत्ता में सुभाष बाबू ने इस आंदोलन का नेतृत्व किया। सुभाष बाबू गांधीजी और कांग्रेस के तौर-तरीकों से असहमत थे। गांधीजी के विरोध के बावजूद वे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए, पर कार्यकारिणी का सहयोग न मिलने पर उन्होंने त्याग-पत्र दे दिया। नजरबंदी में ब्रिटिश सरकार की आँखों में धूल झोंककर वे जापान पहुँचे और आजाद हिंद फौज की स्थापना की। उन्होंने नारा दिया-‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूँगा।’ उन्होंने भारत की आजादी के लिए सशस्त्र संघर्ष किया। सुभाष की राष्ट्रभक्ति बेमिसाल है। उनकी मृत्यु के बारे में अभी तक रहस्य बना हुआ है। कहा जाता है कि 23 अगस्त, 1945 को उनका विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। राष्ट्रनायक सुभाष बाबू आज भी अदम्य प्रेरणा के स्रोत हैं।
Vinod Kumar Mishra
कोई व्यक्ति एक अच्छा चित्रकार हो सकता है, वैज्ञानिक हो सकता है, इंजीनियर और गणितज्ञ हो सकता है; पर एक ही व्यक्ति उत्कृष्ट चित्रकार, अच्छा वैज्ञानिक, श्रेष्ठ इंजीनियर, कुशल गणितज्ञ, अद्भुत चिंतक, गजब का वास्तुविद्, योजनाकार, संगीतज्ञ, वाद्ययंत्र डिजाइनर आदि सबकुछ हो— विश्वास करना कठिन है, लेकिन ऐसा ही एक अद्भुत व्यक्ति था—लियोनार्डो दा विंची।
लियोनार्डो युद्ध के घोर विरोधी थे, पर विडंबना यह कि उन्हें हिंसक अस्त्र-शस्त्र, युक्तियाँ, उपकरण आदि तैयार करने पड़े। परिस्थितियाँ इतनी प्रतिकूल थीं कि उनके तमाम चित्र, मूर्तियाँ, मॉडल आदि अधूरे ही रह गए। उनके डिजाइन किए हुए शहर, नहरें, बाँध आदि कागजों पर ही चिपके रह गए। बाद के वैज्ञानिकों, कलाकारों, दार्शनिकों ने उन्हें अपना आदर्श माना और उनके बनाए स्कैचों, डिजाइनों, मॉडलों आदि को मूर्त रूप दिया। उस काल में की गई उनकी कल्पनाएँ—जैसे पनडुब्बी, हेलीकॉप्टर, टैंक, सर्पिल सीड़ियाँ, साफ-सुथरे शहर, अद्भुत खिलौने—आज साकार हो चुकी हैं।
आजीवन गरीबी और बदहाली झेलनेवाले लियोनार्डो की एक कूटबद्ध नोटबुक ‘कोडेक्स लिसेक्टर’ हाल ही में तीन करोड़ में बिकी। खरीदनेवाले हैं—विश्व के सबसे धनी व्यक्ति एवं माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स। ऐसा करके बिल गेट्स ने अपने बचपन के आदर्श के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रस्तुत पुस्तक ‘लियोनार्डो दा विंची’ में सुधी पाठक इस अद्भुत चरित्र के बारे में पढ़कर जहाँ आश्चर्यचकित होंगे, वहीं ज्ञान के अथाह सागर में जी भरकर ज्ञान का आचमन करेंगे।
विश्व के सबसे बड़े स्वयंसेवी संगठन ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य ‘श्रीगुरुजी’ आध्यात्मिक विभूति थे। सन् 1940 से 1973 तक करीब 33 वर्ष संघ प्रमुख होने के नाते उन्होंने न केवल संघ को वैचारिक आधार प्रदान किया, उसके संविधान का निर्माण कराया, उसका देश भर में विस्तार किया, पूरे देश में संघ की शाखाओं को फैलाया।
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