Publisher – Rajkamal Prakashan
Author -Surendra Mohan Pathak
ISBN -9789388933254
Language – Hindi
Pages – 422
Binding – Paperback
Weight | .550 kg |
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Dimensions | 7.50 × 5.57 × 2 in |
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Leonarado Da Vinchi- Vinod Kumar Mishra
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कोई व्यक्ति एक अच्छा चित्रकार हो सकता है, वैज्ञानिक हो सकता है, इंजीनियर और गणितज्ञ हो सकता है; पर एक ही व्यक्ति उत्कृष्ट चित्रकार, अच्छा वैज्ञानिक, श्रेष्ठ इंजीनियर, कुशल गणितज्ञ, अद्भुत चिंतक, गजब का वास्तुविद्, योजनाकार, संगीतज्ञ, वाद्ययंत्र डिजाइनर आदि सबकुछ हो— विश्वास करना कठिन है, लेकिन ऐसा ही एक अद्भुत व्यक्ति था—लियोनार्डो दा विंची।
लियोनार्डो युद्ध के घोर विरोधी थे, पर विडंबना यह कि उन्हें हिंसक अस्त्र-शस्त्र, युक्तियाँ, उपकरण आदि तैयार करने पड़े। परिस्थितियाँ इतनी प्रतिकूल थीं कि उनके तमाम चित्र, मूर्तियाँ, मॉडल आदि अधूरे ही रह गए। उनके डिजाइन किए हुए शहर, नहरें, बाँध आदि कागजों पर ही चिपके रह गए। बाद के वैज्ञानिकों, कलाकारों, दार्शनिकों ने उन्हें अपना आदर्श माना और उनके बनाए स्कैचों, डिजाइनों, मॉडलों आदि को मूर्त रूप दिया। उस काल में की गई उनकी कल्पनाएँ—जैसे पनडुब्बी, हेलीकॉप्टर, टैंक, सर्पिल सीड़ियाँ, साफ-सुथरे शहर, अद्भुत खिलौने—आज साकार हो चुकी हैं।
आजीवन गरीबी और बदहाली झेलनेवाले लियोनार्डो की एक कूटबद्ध नोटबुक ‘कोडेक्स लिसेक्टर’ हाल ही में तीन करोड़ में बिकी। खरीदनेवाले हैं—विश्व के सबसे धनी व्यक्ति एवं माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स। ऐसा करके बिल गेट्स ने अपने बचपन के आदर्श के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रस्तुत पुस्तक ‘लियोनार्डो दा विंची’ में सुधी पाठक इस अद्भुत चरित्र के बारे में पढ़कर जहाँ आश्चर्यचकित होंगे, वहीं ज्ञान के अथाह सागर में जी भरकर ज्ञान का आचमन करेंगे।SKU: n/a -
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Mera Aajeevan Karavas (PB)
0 out of 5(0)भारतीय क्रांतिकारी इतिहास में स्वातंत्रवीर विनायकदामोदर सावरकर का व्यक्तित्व अप्रतिम गुणों का द्योतक है। ‘सावरकर’ शब्द ही अपने आपमें पराक्रम, शौर्य औरउत्कट देशभक्ति का पर्याय है। अपनी आत्मकथा मेरा आजीवन कारावास में उन्होंने जेल-जीवन की भीषण यातनाओं- ब्रिटिश सरकार द्वारा दो-दो आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अपनी मानसिक स्थिति, भारत की विभिन्न जेलों में भोगी गई यातनाओं और अपमान, फिर अंडमान भेजे जाने पर जहाज पर कैदियों की यातनामय नारकीय स्थिति, कालापानी पहुँचने पर सेलुलर जेल की विषम स्थितियों, वहाँ के जेलर बारी का कूरतम व्यवहार, छोटी-छोटी गलतियों पर दी जानेवाली अमानवीय शारीरिक यातनाएँ यथा-कोडे लगाना, बेंत से पिटाई करना, दंडी-बेड़ी लगाकर उलटा लटका देना आदि का वर्णन मन को उद्वेलित करदेनेवाला है। विषम परिस्थितियों में भी कैदियों में देशभक्ति और एकता की भावना कैसे भरी, अनपढ़ कैदियों को पड़ाने का अभियान कैसे चलाया, किस प्रकार दूसरे रचनात्मक कार्यो को जारी रखा तथा अपनी दृढ़ता और दूरदर्शिता से जेल के वातावरण को कैसे बदल डाला, कैसे उन्होंने अपनी खुफिया गतिविधियों चलाई आदि का सच्चा इतिहास वर्णित है।
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Lauhpurush Sardar Vallabhbhai Patel
0 out of 5(0)लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में हुआ। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई। लंदन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की और वापस आकर गुजरात के अहमदाबाद में वकालत करने लगे। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर वे भारत के स्वतंत्रता आंदोलन से पूरी तरह जुड़ गए। स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा आंदोलन में रहा। बारदोली में सशक्त सत्याग्रह करने के लिए ही उन्हें ‘सरदार’ कहा जाने लगा। सरदार पटेल को 1937 तक दो बार कांग्रेस का सभापति बनने का गौरव प्राप्त हुआ। आजादी के बाद भारत के राजनीतिक एकीकरण में उनके महान् योगदान के लिए इतिहास उन्हें सदैव स्मरण रखेगा। अपनी दृढ़ता के कारण वे ‘लौह पुरुष’ कहलाए। सरदार पटेल स्वतंत्र भारत के उप-प्रधानमंत्री होने के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे। उनकी महानतम देन है 562 छोटी-बड़ी रियासतों का भारतीय संघ में विलय करना। वे नवीन भारत के निर्माता, राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी और भारतीय जनमानस अर्थात् किसान की आत्मा थे। अपने रणनीतिक कौशल, राजनीतिक दक्षता और अदम्य इच्छा-शक्ति के बल पर भारत को एक नई पहचान देनेवाले समर्पित इतिहास-पुरुष की प्रेरणाप्रद जीवनी।.
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