Jaal Sameta | जाल समेटा
Harivansh Rai Bachchan
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बच्चन जैसे भाव-प्रवण कवि समय के साथ अपनी कविताओं को अनेक रंगों में चित्रित करते हैं। ‘जाल समेटा’ की कविताएं उन्होंने 1960-70 के दशक में लिखी थीं। लोकप्रियता के शिखर पर पहुंच कर जीवन की वास्तविकता के संबंध में उनके मन में अनेक भाव उठे। ‘जाल समेटा’ में उनकी इन भावनाओं को सजीव करती उत्कृष्ट कविताओं को पढ़िए। बच्चनजी के शब्दों में, ‘‘मेरी कविता मोह से प्रारंभ हुई थी और मोह-भंग पर समाप्त हो गयी।’’
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Jaal Sameta | जाल समेटा
Harivansh Rai Bachchan
Weight | .150 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Harivansh Rai Bachchan
PUBLISHER : Rajpal and Sons
LANGUAGE : Hindi
ISBN :9788170287827
BINDING : (HB)
PAGES : 72
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