मैं जितना समझता था,नेहरू उससे भी बड़े कम्युनिस्ट थे । फिलिप स्प्रैट,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक |
भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन को गति देने के लिए जिन लोगों को कम्युनिस्ट इंटरनेशनल(कॉमिन्टर्न) ने तैयार किया था, वह सभी कमोबेश एक ही समय अंतराल पर भारत में कम्युनिस्ट विचारधारा के विस्तार के लिए अलग-अलग तरीके से काम कर रहे थे । कॉमिन्टर्न ने इसके लिए तीन समूहों का निर्माण किया और उन्हें तीन अलग-अलग कार्य सौंपे । एक वो जो सीधे लेलिन द्वारा निर्देशित था और जो सशस्त्र क्रांति के जरिए भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन शुरू करना चाहता था। इस गुट का नेतृत्व मानवेंद्र नाथ राय(एम.एन राय) के पास था । दूसरा वो, जो भारत के बिखरे विभिन्न आंदोलनों,संघर्षों व वामपंथी संगठनों को एकजुट कर एक केंद्रीयकृत कम्युनिस्ट पार्टी का गठन कर इस आंदोलन को धार दे। इसका नेतृत्व ब्रिटिश कम्युनिस्ट राजनीपाम दत्त व हैरी पॉलीट के पास था। और तीसरा वो, जो भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस की पूरी लड़ाई को वामपंथी दिशा में मोड़ दे । इसका नेतृत्व पंडित जवाहरलाल नेहरू के हाथ में था । तीनों विचारधारा के अगुआ कॉमिन्टर्न की प्रयोगशाला से ही निकले थे !
यह पूरी पुस्तक 1917 से लेकर 1964 तक वैश्विक परिवेश में भारत के अंदर वामपंथी विचारधारा के विकास,उसके क्रियान्वयन और उसके प्रभाव का ऐतिहासिक और समाजशास्त्रीय अध्ययन है। चूंकि 1917 में रूस में ‘बोल्शेविकवाद’ का जन्म हुआ और 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का विभाजन व देश की नीतियों में इसे संस्थागत तरीके से लागू करने वाले प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का देहांत हुआ,इसलिए इस कालखंड को पुस्तक का विषय वस्तु बनाया गया है। भारत में कम्युनिज्म के विकास और उसके प्रभाव पर तीन पुस्तकों की श्रृंखला में यह पहली पुस्तक है।