Manu Sharma
मनु शर्मा ने साहित्य की हर विधा में लिखा है। उनके समृद्ध रचना-संसार में आठ खंडों में प्रकाशित ‘कृष्ण की आत्मकथा’ भारतीय भाषाओं का विशालतम उपन्यास है। ललित निबंधों में वे अपनी सीमाओं का अतिक्रमण करते हैं तो उनकी कविताएँ अपने समय का दस्तावेज हैं। जन्म : सन् 1928 की शरत् पूर्णिमा को अकबरपुर, फैजाबाद में। शिक्षा : काशी विश्वविद्यालय, वाराणसी।
किताबें : ‘तीन प्रश्न’, ‘राणा साँगा’, ‘छत्रपति’, ‘एकलिंग का दीवान’ ऐतिहासिक उपन्यास; ‘मरीचिका’, ‘विवशता’, ‘लक्ष्मणरेखा’, ‘गांधी लौटे’ सामाजिक उपन्यास तथा ‘द्रौपदी की आत्मकथा’, ‘द्रोण की आत्मकथा’, ‘कर्ण की आत्मकथा’, ‘कृष्ण की आत्मकथा’, ‘गांधारी की आत्मकथा’ और ‘अभिशप्त कथा’ पौराणिक उपन्यास हैं। ‘पोस्टर उखड़ गया’, ‘मुंशी नवनीतलाल’, ‘महात्मा’, ‘दीक्षा’ कहानी-संग्रह हैं। ‘खूँटी पर टँगा वसंत’ कविता-संग्रह है, ‘उस पार का सूरज’ निबंध-संग्रह है।
सम्मान और अलंकरण : गोरखपुर विश्व-विद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि। उ.प्र. हिंदी संस्थान का ‘लोहिया साहित्य सम्मान’, केंद्रीय हिंदी संस्थान का ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’, उ.प्र. सरकार का सर्वोच्च सम्मान ‘यश भारती’ एवं साहित्य के लिए म.प्र. सरकार का सर्वोच्च ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’।
संपर्क : 382, बड़ी पियरी, वाराणसी।
Hindi Books, Prabhat Prakashan, उपन्यास
Khoonti Par Tanga Vasant
मन की भावुकता की गाड़ी पर जब मेरी श्लथ वैचारिकता अपने बचे हुए शब्दों के साथ सैर के लिए निकलती है तो उसी का परिणाम होती है मेरी कविताएँ। वस्तुतः इन कविताओं में से प्रत्येक मेरे जीवन के अकाव्यात्मक सत्य का काव्यात्मक वक्तव्य है।
वस्तुतः इनका प्रयोजन और इनकी उत्पत्ति का कारण भिन्न है, इनके जन्म के समय की स्थितियाँ भी एकदम बदली हुईं। मेरे स्वतंत्र मूड की कविताएँ यदि अवकाश के क्षणों का ‘उत्पाद’ हैं तो खबरदार कविताएँ व्यस्त क्षणों का ‘उत्पाद’। वे यदि ‘हैपेनिंग’ है तो ये ‘डूइंग’, वे यदि अनायास हैं तो सायास।
Rs.225.00 Rs.250.00
Weight | 0.380 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
- Manu Sharma
- 9789386001221
- Prabhat Prakashan
- Hindi
- 2016
- 152
- Hard Cover
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