Konark | कोणार्क
Pratibha Rai
उड़िया भाषा की प्रतिभासम्पन्न लेखिका प्रतिभा राय के उड़िया उपन्यास ‘शिलापद्म’ को ‘ओड़ीसा साहित्य अकादमी पुरस्कार’-1986 प्रदान किया गया था। उसी उपन्यास का हिन्दी रूपान्तर ‘कोणार्क’ के रूप में प्रस्तुत है। यह कोई इतिहास नहीं है, यहाँ इतिहास-दृष्टि भी प्रमुख नहीं है-साहित्य दृष्टि ही इसके प्राणों में है। इस कृति में केवल पत्थरों पर तराशी गईं कलाकृतियों का मार्मिक चित्रण नहीं है। उड़िया जाति की कलाप्रियता और कलात्मक ऊँचाइयों की ओर संकेत करते हुए लेखिका ने उस कोणार्क मंदिर को चित्रित किया है जो आज भारतीय कला-कौशल, कारीगरी एवं आदर्शों का एक भग्न स्तूप है। शिल्पी कमल महाराणा और वधू चंद्रभागा के त्याग, निष्ठा, उत्सर्ग, प्रेम-प्रणय-विरह की अमरगाथा को बड़े सुन्दर ढंग से इस प्रशंसित और पुरस्कृत उपन्यास में प्रस्तुत किया गया है।
Rs.350.00
Konark | कोणार्क
Pratibha Rai
Weight | .300 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR :Pratibha Rai
PUBLISHER : Rajpal and Sons
LANGUAGE : Hindi
ISBN :9788170280323
BINDING : (HB)
PAGES : 248
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