नारी : महाभारत महाकाव्य के आलोक में
Author : Dr. Jagriti, Dr. Nirmala Upadhyay
Language : Hindi
Edition : 2022
ISBN : 9789391446024
Publisher : RAJASTHANI GRANTHAGAR
Naari : Mahabhara Mahakavya Ke Alok Mein
नारी : महाभारत महाकाव्य के आलोक में : महाभारत महाकाव्य मानव जीवन के विविध पक्षों को समाविष्ट करता है। प्रस्तुत पुस्तक में सामाजिक, राजनीतिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में नारी के अवदान को महाभारत के आलोक में प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। नारी ने अपनी प्रतिभा तथा क्षमता से जीवन को गौरवान्वित किया है। परिवार, समाज तथा राष्ट्र के प्रति व्यक्ति के कर्त्तव्यों को दिशानिर्देश दिया है। जननी, पत्नी, पुत्री तथा भगिनी के रूप में उसने पुत्र, पति, पिता तथा भ्राता आदि को विकट परिस्थिति में सम्बल प्रदान किया है। उसका मार्गदर्शन प्रेरणास्पद है। नारी के अवदान के बिना समाज तथा राष्ट्र की प्रगति तथा उन्नति अकल्पनीय है। अपार ऊर्जा से सम्पन्न नारी ने बाधाओं को पार करने में अपनी प्रतिभा को उजागर किया है। उसका बहुआयामी चरित्र प्रशंसनीय तथा वन्दनीय है।
पारिवारिक तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य में नारी का चिन्तनमनन दिशा-बोध से संयुक्त है। कला तथा संस्कृति को जीवन्त रखने में उसका अनुदान प्रशंसनीय है । राजनीतिक तथा सामरिक पटल पर उसकी ऊर्जा, साहस तथा धैर्य अविस्मरणीय हैं, जीवित-जागृत राष्ट्र की वह प्रतीक है। उसके हाथों में प्रत्यक्ष रूप से शासनाधिकार न होने पर भी उसने राजनीतिक पटल पर अपनी अमिट छाप अंकित की है।
महाभारत महासमर पर दृष्टिपात किया जाये तो यह स्पष्ट है कि नारी का अपमान करना क्षम्य नहीं है। द्रौपदी के अपमान की गूंज महाभारत के सभी पर्यों में सुनायी पड़ती है। कौरवपाण्डव महासमर में भूमि-स्वामित्व का प्रश्न दोनों पक्षों को विचलित करता रहा। कटु वचन, प्रतिशोध का भाव, जातिगत द्वेष की अग्नि तथा कुल-कलह महाभारत युद्ध के आधार बने । महासमर में कौरव पक्ष नि:शेष हो गया। महाभारत महासमर में जन-धन की अपार क्षति हुई, निष्कर्ष रहा – न युद्धे तात कल्याणं न धर्मार्थो कुतः सुखम् ।
प्रस्तुत पुस्तक महाभारत महाकाव्य के अध्ययन विषयक लेखिकाओं के गहन अध्ययन तथा नवीन व्याख्या की परिचायक है । बहुआयामी दृष्टिकोण से महाभारत की व्याख्या का प्रयास सराहनीय है।
Rs.540.00 Rs.600.00
Weight | 0.520 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
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