Weight | 0.250 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
AUTHOR : Pt. Deendayal Upadhaya
ISBN : 9788189622442
Language : Hindi
Publisher: Suruchi Prakashan
Binding : PB
pages : 240
A must read and collective book by Pt Deen Dayal ji
Rs.95.00
Weight | 0.250 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
AUTHOR : Pt. Deendayal Upadhaya
ISBN : 9788189622442
Language : Hindi
Publisher: Suruchi Prakashan
Binding : PB
pages : 240
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This book is an account of how Dr. Kalam visualizes Information and Communication Technology mining the rural talent. Here, Dr. Kalam presents his dream of schools in India at 2020 as symbiotic nerve centres connecting teachers, students and community; personifying knowledge that exists in the world. He also makes a clarion call to accelerate the process of societal transformation. This would involve raising the standards of governance and safeguarding the sanctity of public institutions. The book uses the metaphor of a tree to describe the process of knowledge bearing fruits of prosperity in the contemporary globalised world where different phases, formative, adult working life, and post-50 experienced senior citizens, call for different kinds of learning. The book refers to a contextual contribution of a large number of Indian scientists and artists and proves that there is no age bar to blossom. He advocates creation of conditions that favour growth of diverse individual talents akin to a garden and calls for a scientific mind-set guided by conscience, consensus and by actions that take our social and moral values into account in building our own systems.
रामेश्वरम में पैदा हुए एक बालक से लेकर भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति बनने तक का डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन असाधारण संकल्प शक्ति, साहस, लगन और श्रेष्ठता की चाह की प्रेरणाप्रद कहानी है। छोटी कहानियों और पार्श्व चित्रों की इस शृंखला में डॉ. कलाम अपने अतीत के छोटे-बड़े महत्त्वपूर्ण पलों को याद करते हैं और पाठकों को बताते हैं कि उन पलों ने उन्हें किस तरह प्रेरित किया। उनके प्रारंभिक जीवन पर गहरी छाप छोड़ने वाले लोगों और तदनंतर संपर्क में आए व्यक्तियों के बारे में वे उत्साह और प्रेम के साथ बताते हैं। वे अपने पिता और ईश्वर के प्रति उनके गहरे प्रेम, माता और उनकी सहृदयता, दयालुता, उनके विचारों और दृष्टिकोणों को आकार देनेवाले अपने गुरुओं समेत सर्वाधिक निकट रहे लोगों के बारे में भी उन्होंने बड़ी आत्मीयता से बताया है। बंगाल की खाड़ी के पास स्थित छोटे से गाँव में बिताए बचपन के बारे में तथा वैज्ञानिक बनने, फिर देश का राष्ट्रपति बनने तक के सफर में आई बाधाओं, संघर्ष, उनपर विजय पाने आदि अनेक तेजस्वी बातें उन्होंने बताई हैं।
‘मेरी जीवन-यात्रा’ अतीत की यादों से भरी, बेहद निजी अनुभवों की ईमानदार कहानी है, जो जितनी असाधारण है, उतनी ही अधिक प्रेरक, आनंददायक और उत्साह से भर देनेवाली है।
आभार
मेरी जीवन-यात्रा घटनाओं से भरे जीवन का विवरण है। मेरे मित्र हैरी शेरिडॉन करीब बाईस वर्षों से मेरे साथ रहे हैं और अनेक घटनाओं के भागीदार बने हैं। उन्होंने मेरे साथ सुख और दुःख, दोनों झेले हैं। शेरिडॉन हर तरह के उतार-चढ़ावों में मेरे साथ रहे हैं और जब कभी मुझे जरूरत पड़ी, उन्होंने मेरी पूरी-पूरी सहायता की। ईश्वर उन्हें और उनके परिवार को सदैव सुखी रखे। मैं सुदेषणाशोम घोष को भी धन्यवाद देना चाहूँगा, जो पुस्तक की परिकल्पना से लेकर उसे आकार देने तक मेरे साथ रहीं। पुस्तक प्रकाशित होने तक वे धैर्य के साथ निरंतर मुझसे जुड़ी रहीं। मैं उनके प्रयासों को नमन करता हूँ।
This book is about Shri Ashutosh Maharaj Ji, whose disciples have a firm conviction that he is established in the highest state of Samadhi since 28th January, 2014.
भारतीय क्रांतिकारी इतिहास में स्वातंत्रवीर विनायकदामोदर सावरकर का व्यक्तित्व अप्रतिम गुणों का द्योतक है। ‘सावरकर’ शब्द ही अपने आपमें पराक्रम, शौर्य औरउत्कट देशभक्ति का पर्याय है। अपनी आत्मकथा मेरा आजीवन कारावास में उन्होंने जेल-जीवन की भीषण यातनाओं- ब्रिटिश सरकार द्वारा दो-दो आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने के बाद अपनी मानसिक स्थिति, भारत की विभिन्न जेलों में भोगी गई यातनाओं और अपमान, फिर अंडमान भेजे जाने पर जहाज पर कैदियों की यातनामय नारकीय स्थिति, कालापानी पहुँचने पर सेलुलर जेल की विषम स्थितियों, वहाँ के जेलर बारी का कूरतम व्यवहार, छोटी-छोटी गलतियों पर दी जानेवाली अमानवीय शारीरिक यातनाएँ यथा-कोडे लगाना, बेंत से पिटाई करना, दंडी-बेड़ी लगाकर उलटा लटका देना आदि का वर्णन मन को उद्वेलित करदेनेवाला है। विषम परिस्थितियों में भी कैदियों में देशभक्ति और एकता की भावना कैसे भरी, अनपढ़ कैदियों को पड़ाने का अभियान कैसे चलाया, किस प्रकार दूसरे रचनात्मक कार्यो को जारी रखा तथा अपनी दृढ़ता और दूरदर्शिता से जेल के वातावरण को कैसे बदल डाला, कैसे उन्होंने अपनी खुफिया गतिविधियों चलाई आदि का सच्चा इतिहास वर्णित है।
इसके अतिरिक्त ऐसे अनेक प्रसंग, जिनको पढ़कर पाठकउत्तेजित और रोमांचित हुए बिना न रहेंगे। विपरीत-से-विपरीत परिस्थिति में भी कुछ अच्छा करने की प्रेरणा प्राप्त करते हुए आप उनके प्रति श्रद्धानत हुएबिनान रहेंगे।
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