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Rajasthan ke Prachin Abhilekh


राजस्थान के प्राचीन अभिलेख डा श्रीकृृष्ण जुगनु मेवाड़ प्रदेश अपने अंक में प्राचीन भारतीय सभ्यता और संस्कृति के बीज को अक्षुण्ण रखे हुए हैं । यहां आदिम समुदायों सहित लोकजन और अभिजात्य तीनों ही स्तर के समाजों के दर्शन होते हैं । पारियात्र अथवा अरावली की पहाडि़यों ने इसे कुदरतन रक्षित और पोषित किया है तो आगंूचा, दरीबा और जावर जैसी खदानों ने इसे आर्थिक रूप से समृद्धि प्रदान की है । इस दृष्टि से यह देश में प्राचीनतम समृऋि प्रदाता क्षेत्र रहा है । इस पर्वतमाला से निकली नदियांे ने यहां कृषि कार्य को सबल किया । यहां गणों से लेकर अनेक राजवंशों ने अपने शासक का सूत्र संचालित किया । अश्वमेध, एकषष्टिरात्र जैसे वैदिक सत्र-यज्ञ यहां हुए और शासकों ने जलाशयों के निर्माण के साथ जल-संसाधन के सुदीर्घ संरक्षण की परम्परा का प्रवर्तन किया ।

Rs.450.00 Rs.500.00

AUTHOR : Dr. Sri Krishna ‘Jugnu’
ISBN : 978-9391446253
Language : Hindi
Publisher: Rajasthani Granthagar
Binding : HB
Pages : 208
WEIGHT : 0.410Kg

Weight 0.410 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in

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