Author: Dr. Surendra Kumar
Rajrishi Manu aur unki Manusmiri
राजर्षि मनु और उनकी मनुस्मृति
राजर्षि मनु भारतीय सास्ंकृतिक गगन में हमारे दीपस्तम्भ हैं। भारतीय समाज का ढाँचा उन्हीं के अमर बीजमन्त्रों पर टिका हुआ है। उनकी विचारधारा गुण-कर्म-योग्यता के श्रेष्ठ मूल्यों के महत्व पर आधारित है।
विषय के विषेषज्ञ अनेक वैदिक विद्वानों के लेख इसमें ऐसे संकलित हैं जैसे किसी हार में मोतियाँ पिरोई होती हैं। इन विद्वानों के मनु और मनुस्मृति-सम्बन्धी चिन्तन से पाठक लाभान्वित हो सकेंगे।
यह पुस्तक मनु और मनुस्मृति-विषयक भ्रान्तियों को दूर करने में सहायक सिद्ध होगी तथा उन भ्रान्तियों के विस्तार को रोकेगी।
एक ही स्थान पर, एक विषय पर, अनेक विचारकों के विचार एकत्र मिलना कठिन होता है। सबको सब पुस्तकें उपलब्ध नहीं हो पातीं, अतः अध्ययन-मनन में पाठकों को सुविधा-लाभ होगा।
Rs.150.00
Weight | .425 kg |
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Dimensions | 9.2 × 6 × 1.57 in |
Author: Dr. Surendra Kumar
Publisher: Govindram Hasanand
EDITION: 2009
Binding: (HB)
ISBN: 9788170771250
Pages: 280
Language: Hindi
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