साँझ के दीप
Author : Dr. Suraj Singh Negi, Dr. Meena Sirola
Language : Hindi
ISBN : 9789390179053
Edition : 2020
Publisher : RG Group
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, इतिहास
साँझ के दीप : वृद्धावस्था मानव जीवन का अंतिम सत्य है, जीवन का यह पड़ाव अनेक सीखों-अनुभवों-उपदेशों से युक्त एक चलती-फिरती पाठशाला है। वह परिवार सचमुच भाग्यशाली हैं, जिन पर वृद्धों की छत्र-छाया है, लेकिन वर्तमान में क्या यही सत्य है।
Saanjh ke Deep
साँझ के दीप : वृद्धावस्था मानव जीवन का अंतिम सत्य है, जीवन का यह पड़ाव अनेक सीखों-अनुभवों-उपदेशों से युक्त एक चलती-फिरती पाठशाला है। वह परिवार सचमुच भाग्यशाली हैं, जिन पर वृद्धों की छत्र-छाया है, लेकिन वर्तमान में क्या यही सत्य है।
कड़वी सच्चाई तो यही है कि परिवार-समाज की यह महत्वपूर्ण इकाई आज हाशिए पर रहने को मजबूर हो चुकी है। यत्र-तत्र-सर्वत्र ऐसे अनेकों दृष्टांत देखने को मिल ही जाते हैं, जो मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर देने वाले होते हैं।
प्रस्तुत कहानी संग्रह में सम्मिलित प्रत्येक कहानी एक नया संदेश देती हुई नजर आती है। जीवन की कड़वी सच्चाई को उजागर करती यह कहानियाँ कई बार उन बच्चों को प्रायश्चित करवाती नजर आती हैं, जिन्होंने वृद्ध माँ-बाप को जीवन के अंतिम मोड़ पर घर से बेघर कर दिया हो, तो कहीं पर अपने स्वाभिमान को बचाए रखने के लिए दृढ़ वृद्धजन, कहीं पर अंतिम साँस ले रहे माँ-बाप की जुबाँ पर औलाद का नाम, कहीं पर जैसी करनी वैसी भरनी की कहावत को चरितार्थ किया गया है। कहीं समाज की दृष्टि में कम पढ़े-लिखे माँ-बाप, किन्तु उनकी सीख आज के तथाकथित बुद्धिजीवियों से उत्तम दर्ज की दिखलाई पड़ती है, तो कहीं वृद्ध हो चुके पति-पत्नी के बीच के मनोविज्ञान को दर्शाया गया है।
कुछ कहानियों को पढ़ कर लगता है कि परिस्थितियाँ कितनी ही विपरीत भले ही हो जाएं, लेकिन अंतिम क्षण तक हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। ‘अप्प दीपो भवः’ के सिद्धान्त पर चल कर वह स्वयं के जीवन में तो प्रकाश भर ही रहे हैं, अपितु अन्य के जीवन को भी आलोढ़ित कर रहे हैं।
Rs.225.00 Rs.250.00
Weight | 0.450 kg |
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Dimensions | 8.7 × 5.57 × 1.57 in |
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