Publisher – Gita Press
Language – Hindi
Binding – Paperback
Shwetashwatar-Upanishad
कृष्णयजुर्वेदीय इस उपनिषद् के वक्ता श्वेताश्वतर ऋषि हैं। इसमें जगतके कारणतत्त्वके रूपमें ब्रह्मका निरूपण करते हुए साधक, साधन और साध्य-विषयपर मार्मिक भाषामें प्रकाश डाला गया है। शंकराचार्य जी द्वारा करी गयी व्याख्या और हिन्दी अनुवाद सहित।
Rs.30.00
Weight | .200 kg |
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Dimensions | 7.50 × 5.57 × 1.57 in |
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‘हिंदुत्व’ शब्द में एक राष्ट्र, हिंदूजाति के अस्तित्व तथा पराक्रम के सम्मिलित होने का बोध होता है। इसीलिए ‘हिंदुत्व’ शब्द का निश्चित आशय ज्ञात करने के लिए पहले हम लोगों को यह समझना आवश्यक है कि ‘हिंदू’ किसे कहते हैं। इस शब्द ने लाखों लोगों के मानस को किस प्रकार प्रभावित किया है तथा समाज के उत्तमोत्तम पुरुषों ने, शूर तथा साहसी वीरों ने इसी नाम के लिए अपनी भक्तिपूर्ण निष्ठा क्यों अर्पित की, इसका रहस्य ज्ञात करना भी आवश्यक है।
प्रखर राष्ट्रचिंतक एवं ध्येयनिष्ठ क्रांतिधर्मा वीर सावरकर की लेखनी से निःसृत ‘हिंदुत्व’ को संपूर्णता में परिभाषित करती अत्यंत चिंतनपरक एवं पठनीय पुस्तक।SKU: n/a -
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