तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी (सत्य घटनाओं पर आधारित अविश्वसनीय कथा-प्रसंग)
Tibbat Ki Wah Rahasyamayi Ghati
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कथा-सार— एक अति अविश्वसनीय आश्चर्य। एक हजार साल तक सर्पणी की काया में रहने के बाद एक नागिन का कायाकल्प और वह भी एक सुन्दर युवती के रूप में! सहज ही विश्वास नहींं हो रहा था मुझको। —नागमोहिनी विद्या कापालिक ने मोहनचन्द के जन्म के समय ही वचन दिया कि उसकी रक्षा करेगा। उसी मोहनचन्द की सौतेली माँ ने हत्या करवा दी। इतना ही नहीं उसके आदेश पर मोहनचन्द का शव चिता पर रख कर आग भी लगा दी गयी। लेकिन थोड़ी ही देर बाद देखा गया तो शव चिता पर से गायब था। आखिर क्या हो गया। — कापालिक अद्भुत शक्ति थी उस माला में गुंथी मूर्ति में। वह आगामी घटनाओं के बारे में पहले ही स्वप्न में सूचना दे देती थी। उसकी शक्ति से क्या से क्या हो गया? लेकिन सफलता के मद में एक ऐसी भूल हो गयी जिसने सब कुछ उलट-पुलट दिया। —चमत्कारी मूर्ति क्या मैं तुमसे एक बात पूछ सकता हूँ? मैंने कहा। पूछिये। पाखी ने जवाब दिया। क्या तुम सचमुच में डायन हो? तुम्हें लोग जादूगरनी कहते हैं। क्या यह बात सच है? —क्या वह डायन थी? प्रतिमा के ठीक सामने एक बड़ा-सा त्रिकोण हवन कुण्ड बना था। जिसमें अग्नि प्रज्जवलित थी। कुण्ड के चारों तरफ बैठे हुए भयानक शक्ल के कापालिकों के होंठ इस प्रकार हिल रहे थे, जैसे वे कोई मंत्र पढ़ रहे हों। —तिब्बत का वह रहस्यमय मठ पालकी का रेशमी पर्दा धीरे से हटा। उसमें से एक युवती बाहर निकली। उसकी उम्र अठारह वर्ष से अधिक नहीं थी। अङ्क्षनद्य सुन्दरी थी वह—सुगठित देह चम्पई रंग, पुष्ट उन्नत वक्ष, नितम्बों तक लहराती काली घनी केशराशि, मोर जैसी आँखें, अनार के फूल जैसे कोमल लाल होंठ। —तिब्बत का वह रहस्यमय मठ
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Weight | .350 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Arun Kumar Sharma
PUBLISHER : Vishwavidyalaya Prakashan
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 9789387643024
BINDING : (HB)
PAGES : 192
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