तुलसी की काव्यभाषा
Tulasi Ki Kavyabhasha
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भक्तिकाल के कवियों में गोस्वामी तुलसीदास का स्थान सर्वोपरि है। उनकी पंक्तियाँ शिक्षित-अशिक्षित सबकी जुबान से सुनने को मिलती हैं। उनका ‘मानसÓ परम् परावादी लोगों को जितना प्रिय है, उतना ही आधुनिक पाठकों को भी। वह जितना प्रिय धर्म के अनुयाइयों को है उससे कम प्रिय धर्म का निषेध करने वालों को नहीं। इसका एक ही मुख्य कारण है कि वह हर तरह जन-जीवन से जुड़ा है। तुलसी का काव्य प्रेम, संघर्ष, आत्मसम्मान एवं निष्कम्प आत्मविश्वास का काव्य है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के शब्दों में यदि कहें तो—”उनकी वाणी के प्रभाव से आज भी हिन्दू भक्त, अवसर के अनुसार सौन्दर्य पर मुग्ध होता है, सम्मार्ग पर पैर रखता है, विपत्ति में धैर्य धारण करता है, कठिन कर्म में उत्साहित होता है, दया से आद्र्र होता है, बुराई पर ग्लानि करता है, शिष्टता का अवलम्बन करता है और मानव जीवन के महत्त्व का अनुभव कराता है।
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Weight | .250 kg |
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Dimensions | 8.66 × 5.57 × 1.57 in |
AUTHOR : Hariniwas Pandey
PUBLISHER : Vishwavidyalaya Prakashan
LANGUAGE : Hindi
ISBN : 9788171246632
BINDING : (PB)
PAGES : 104
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