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Vinayak Sahasra Siddhai


भारतीय जनमानस में विनायक को लेकर जैसी श्रद्धा व विश्वास है, वही उसे लोक नायक बनाने के लिए पर्याप्त है। वह सामाजिक दृष्टि से रूढि़ग्रस्त समाज को दिशा देता है और सामाजिक सरोकारों से जुड़कर लोक-कल्याण को सर्वोपरि मानता है। भारत में आर्यावर्त के समय से ही या यों कहें, उससे पूर्व से ही गणेश, गणपति, गणनायक एक ऐसे नायक रहे हैं, जो अपने श्रेष्ठ कार्यों के कारण घर-घर में वंदनीय रहे। मानव समाज उन्हीं की वंदना करता है, जो सेवा के बदले कोई अपेक्षा नहीं करते।
विघ्नहर्ता-मंगलमूर्ति-लंबोदर गणेशजी पर केंद्रित इस औपन्यासिक कृति का लेखन इसी वर्ष में पूर्ण हुआ, जिसका आधार मार्कंडेयपुराण, अग्निपुराण, शिवपुराण और गणेशपुराण सहित अनेक संदर्भ ग्रंथों का अध्ययन है।
विनायक एक सामान्य विद्यार्थी से लेकर समाज के पथ-प्रदर्शक के रूप में पल-पल पर संघर्ष करता है और प्रतिगामी शक्तियों से मुकाबला करता है। विनायक ने हर उस घटना, कार्य और यात्रा को सामाजिक सरोकारों के साथ जोड़ा है, जिनसे वह गुजरता है। अपने मित्रों पर उसे अटूट विश्वास है। उसके पास अद्भुत संगठन क्षमता है। विनायक एक साधारण नायक से महानायक तक की यात्रा तय करता है; लेकिन मानव होने के नाते सारे गुण-अवगुण अपने भीतर समेटे हुए है। ‘विनायक त्रयी’ का यह भाग ‘विनायक सहस्र सिद्धै’ एक ऐसा ही उपन्यास है।
अत्यंत रोचक व पठनीय उपन्यास।

Rs.450.00 Rs.500.00

Rajendra Mohan Sharma

राजेन्द्र मोहन शर्मा लंबे समय से साहित्य के क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके राजेंद्रजी की रचनाओं में ‘आखिर क्यों’ (काव्य-संग्रह), ‘टेढ़ी बत्तीसी’ (व्यंग्य), ‘दीनदयाल’ (कहानी-संग्रह), ‘रंजना की व्यंजना’ (व्यंग्य-संग्रह), ‘सामयिक सरोकार’ (आलेख) प्रकाशित हो चुकी हैं। चार कृतियाँ प्रकाशनाधीन। प्रयोगवादी, भाषा संसार के नए प्रयोगों के वाहक। संप्रति स्वतंत्र लेखन। सभी प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में लेखन। सुप्रसिद्ध रचना ‘विनायक त्रयी’ के रचनाकार के रूप में आपको देश भर में विशेष आदर और सम्मान प्राप्त हुआ है।
संपर्क : डी-130, सेक्टर-9, चित्रकूट, जयपुर।

Weight 0.520 kg
Dimensions 8.7 × 5.57 × 1.57 in
  •  Rajendra Mohan Sharma
  •  9789386870537
  •  Hindi
  •  Prabhat Prakashan
  •  Ist
  •  2019
  •  240
  •  Hard Cover

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