ISBN 13 9798885750516
Book Language Hindi
Binding Paperback
Publishing Year 2025
Publishers Garuda Prakashan
Wo Hindi Medium Wala: Mool Bhartiyon Ka Vidroh Aur Ubharta Raashtravaad
मूल बात पहले। ये पुस्तक इस धारणा को तोड़ती है कि भारत स्वतन्त्र है, और दिखाती है कि हमलोगों ने विदेशी सांस्कृतिक दासता को अपने मानस में आत्मसात् कर लिया है और अब तो उसकी अनुभूति भी हमें नहीं होती।
अमिताभ सत्यम् इस मानसिकता और मूल भारतीय संस्कृति के प्रति हेय दृष्टि रखने वाले व्यवहार का विस्तृत विश्लेषण करते हैं। उनकी बात करते हैं जो भारतीय भाषा बोलते हैं, भारतीय भोजन करते हैं, भारतीय परम्पराओं का पालन करते हैं, और इस कारण “वो हिन्दी मीडियम वाला” जैसे अपमानजनक सम्बोधन को सहते हैं।
अँगरेज़ी को उच्च स्तरीय नौकरियों की आवश्यकता के रूप में स्थापित करके हम सौ करोड़ भारतीयों की प्रतिभा को नकार देते हैं। अँगरेज़ी नहीं बोलने के कारण करोड़ों प्रतिभावान लोग ड्राइवर, सिक्युरिटी गार्ड और नौकर बन कर रह जाते हैं।
मूल भारतीय आज अँगरेज़ी-मीडियमों द्वारा थोपी गई श्रेष्ठता के विरुद्ध विद्रोह कर रहे हैं। ये पुस्तक इन्ही भावनाओं को अभिव्यक्ति प्रदान करती है।
पुस्तक पैने व्यंगात्मक परिहास और व्यक्तिगत अनुभवों से परिपूर्ण है। ये मात्र गुदगुदाती ही नहीं, हमारी इस मानसिकता पर गहन विचार करने को प्रेरित भी करती है।
Rs.255.00 Rs.299.00
| Weight | 0.450 kg |
|---|---|
| Dimensions | 8.7 × 5.5 × 1.5 in |
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