युग-प्रवर्तक स्वामी दयानन्द
Yug-Pravartak Swami Dayananad
लालाजी ने स्वयं स्वीकार किया था की-‘आर्यसमाज मेरी माता है‘ जिसने उन्हें देशभक्ति का पाठ पढ़ाया और ‘महर्षि दयानंद मेरे धर्म पिता हैं‘, जिनके विचारों से प्रेरणा लेकर उन्होंने स्वदेश को पराधीनता की बेड़ियों से छुटकारा दिलाने का प्रयास किया।
उसी नवजागरण के सूत्रधार ऋषि दयानंद के जीवन चरित को लालाजी ने लिखा है। स्वामी दयानंद के आविर्भाव की परिस्थितियों की विवेचना तथा महर्षि के जीवन की प्रमुख घटनाओं एवं उनके विचारों की विस्तृत जानकारी देने वाला यह ग्रंथ, स्वामी दयानंद के जीवन चरितों की श्रृंखला में अपना एक पृथक् महत्व रखता है।
लाला लाजपतराय कि यह अनुपम कृति पाठकों को उस महापुरुष के जीवन एवं कार्य से परिचित कराएगी जिसने न केवल देश के इतिहास को ही प्रभावित किया, अपितु जिसके द्वारा मानव के सर्वांगीण कल्याण की समग्र कल्पना भी की गई थी।
Rs.175.00
Weight | .325 kg |
---|---|
Dimensions | 8.7 × 5.51 × 1.57 in |
Author : Lala Lajpat Rai
Editor : Dr. Bhawanilal Bhartiya
Publisher : Govindram Hasanand
Language : Hindi
ISBN : 9788170770798
Binding : (PB)
Edition : 2014
Pages : 270
Based on 0 reviews
Only logged in customers who have purchased this product may leave a review.
There are no reviews yet.