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Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Kahani Communisto Ki: Khand 1 (1917-1964)
-10%Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, इतिहास, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Kahani Communisto Ki: Khand 1 (1917-1964)
THE AUTHOR
संदीप देवसंदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
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Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
-33%Kapot Prakashan, Sandeep Deo Books, Suggested Books, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Sajish Ki Kahani Tathyo Ki Zubani (Hindi, Sandeep Deo)
THE AUTHOR
संदीप देवसंदीप देव मूलतः समाज शास्त्र और इतिहास के विद्यार्थी हैं | बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (समाजशास्त्र) करने के दौरान न केवल समाजशास्त्र, बल्कि इतिहास का भी अध्ययन किया है । मानवाधिकार से परास्नातक की पढ़ाई करने के दौरान भी मानव जाति के इतिहास के अध्ययन में इनकी रुचि रही है । वीर अर्जुन, दैनिक जागरण, नईदुनिया, नेशनलदुनिया जैसे अखबारों में 15 साल के पत्रकारिता जीवन में इन्होंने लंबे समय तक क्राइम और कोर्ट की बीट कवर किया है । हिंदी की कथेतर (Non-fiction) श्रेणी में संदीप देव भारत के Best sellers लेखकों में गिने जाते हैं । इनकी अभी तक 9 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । संदीप देव भारत में Bloombury Publishing के पहले मौलिक हिंदी लेखक थे, लेकिन वैचारिक कारणों से इन्होंने Bloombury से अपनी अब तक प्रकाशित सभी पुस्तकें वापस ले ली हैं । ऐसा करने वाले वो देश के एक मात्र लेखक हैं | इसके उपरांत कपोत प्रकाशन को पुनः प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया। वर्तमान में संदीप देव हिंदी के एकमात्र लेखक हैं, जिनकी पुस्तकों ने बिक्री में लाख के आंकड़ों को पार किया है | संदीप देव indiaspeaksdaily.com के संस्थापक संपादक हैं ।
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Modi Government From 2014 To 2024 eBook
मोदी सरकार – 2014 से 2024 तक! हिन्दुओं से धोखा – भारत से द्रोह !
2014 में प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी थी। मोदी ने चुनाव के समय हिंदूओं से ढेर सारे वायदे किए थे, लेकिन आज सत्ता में 10 साल होने के उपरांत भी उनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया गया है। यही नहीं मुस्लिम तुष्टिकरण, वंशवाद और भ्रष्टाचार में मोदी सरकार ने कांग्रेस का पुराना रिकोर्ड भी ध्वस्त कर दिया है। आज भारत की विदेश नीति ऐसी लचर है कि हमारे सभी पड़ोसी देशों में चीन का विस्तार हो चुका है और चीन हमारी करीब 4000 वर्ग किलोमीटर जमीन को भी हड़प चुका है।
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Kapot Prakashan, Suggested Books, रामायण/रामकथा
Global Footprints of Ramayan
This book debunks many misconceptions that have been introduced in the minds of billions of people by vested interests who want to weaken their faith in Shri Ram. The researched facts presented in this book will inspire the reader to read Valmiki’s Ramayan with a new vision and inspiration.
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Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति
Bharatvarsh Ka Itihas
-5%Govindram Hasanand Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, इतिहास, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृतिBharatvarsh Ka Itihas
भारत की सर्वप्रथम सभ्यता तो वैदिक सभ्यता ही थी, जिससे भारतवर्ष का इतिहास प्रारम्भ होता है। भारतीय इतिहास के प्रथम स्रोत भी वैदिक ग्रन्थ ही हैं, जैसे वेदों की वे शाखाएँ जिनमें ब्राह्मण-पाठ सम्मिलित हैं, ब्राह्मण ग्रन्थ, कल्प सूत्र, आरण्यक और उपनिषद् ग्रन्थ!
भारत युद्ध-काल के सहस्रों वर्ष पूर्व की अनेक ऐतिहासिक घटनाएँ वर्णित हैं। भारतीय वाङ्मय में स्थान-स्थान पर इतिहास की घटनाओं का वर्णन भरा पड़ा है, लेखक ने उन घटनाओं को क्रमबद्ध करने का संक्षिप्त प्रयास किया है। भारतीय इतिहास को बहुत विकृत कर दिया गया है। सत्य को असत्य प्रदर्शित किया जाता है और असत्य को सत्य बनाने का यत्न किया गया।
इसके भयंकर दुष्परिणाम हुए-भारतीय अपना भूत ही भूल गए वे इन मिथ्या कल्पनाओं को ही सत्य समझने लगे। लेखक ने अपने अध्ययन काल में ही निश्चय कर लिया था कि वह अपना सारा जीवन भारतीय संस्कृति और इतिहास के पाठ तथा स्पष्टीकरण में लगाएंगे। आशा है इतिहास के लेखक और पाठक उनके इस परिश्रम से लाभान्वित होंगे।SKU: n/a -
Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
MAHARANA: सहस्र वर्षो का धर्मयुद्ध
-20%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)MAHARANA: सहस्र वर्षो का धर्मयुद्ध
पंचमक्कारों के नरेशन्स को ध्वस्त करने वाली पुस्तक इस्लामी आक्रमणकारियों के गौरवशाली हिंदू प्रतिरोध पर आधारित है। अपनी कॉपी को आज ही बुक करें और अपने दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों को भी ऐसा करने के लिए कहें। और इतिहास निर्माण का हिस्सा बने।
इस क्षणभंगुर अस्तित्व में यदि कोई तत्त्व स्थायी हैं तो वे हैं आत्मसम्मान तथा स्वतंत्रता। ये तत्त्व, बहुत मूल्य चुका कर प्राप्त होते हैं। मेवाड़ के महान सिसोदिया राजवंश ने अपने सुख, संपत्ति व जीवन का मूल्य चुकाकर ये तत्त्व हिंदू समाज को सहजता से दे दिए। एक सहसख्र वर्षों तक अरावली में यायावरों का सा जीवन जीने वाले मेवाड़ के इन अवतारी पुरुषों के कारण ही भारत में आज केसरिया लहराता है।
यह पुस्तक उन महापुरुषों के प्रति हिंदू समाज की कृतज्ञता व्यक्त करने का एक प्रयास है। लेखक ने निष्पक्ष प्रामाणिकता से भारत के इतिहास के साथ हुए व्यभिचार को उजागर किया है । यह पुस्तक स्थापित भ्रांतियों को भंग करने के अतिरिक्त नई मान्यताओं को भी स्थापित करती है।
भारतीय उपमहाद्वीप में गत चौदह शताब्दियों से चले आ रहे हिंदू-मुस्लिम संघर्ष को यह पुस्तक उसकी भयानक नग्नता में प्रकट करती है। हत्यारे व बलात्कारी आक्रांताओं के समूह से हिंदू धर्म को बचाकर लानेवाले इन देवपुरुषों के इतिहास को किस निर्लज्जता व निकृष्टता से पोंछ डाला गया है, यह इस पुस्तक का आधार है।
सत्य कोई अवधारणा नहीं, बल्कि जीवन का मूल स्रोत है । जो समाज असत्य में जिएगा, वह बच नहीं सकता। जो समाज सत्य धारण करेगा, वह शाश्वत अमरत्व को प्राप्त होगा। मेवाड़ के महान् पुरखे तो सत्य में जीकर इहलोक व परलोक में परमगति पा गए। क्या आज के हिंदू समाज में इतना आत्मबल हे कि सत्य के लिए लड़ सके”’जी सके ”मर सके !
इन प्रश्नों के उत्तर ही निश्चित करेंगे कि हिंदू समाज सफलता के शिखर को छुएगा या अब्राह्मिक मतों की दासता भोगता हुआ मिट जाएगा।
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Hindi Books, Suggested Books, Vishal Singh, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Narendra Modi ka Dhokha aur Sach – Bachpan se Rajnitik Jeevan ka Safar (PB)
-50%Hindi Books, Suggested Books, Vishal Singh, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Narendra Modi ka Dhokha aur Sach – Bachpan se Rajnitik Jeevan ka Safar (PB)
The veracity of the claims related to Narendra Modi’s life and the way his name came out as anti-Muslim after the Godhra riots made him known as the Hindu Hriday Samrat. After becoming the Prime Minister, has he become secular or is he secretly carrying forward the agenda of Hindutva by taking Muslims into confidence? After becoming the PM,what changes did he make in the appeasement politics that was already going on? To what extent could he wash away the stain of Godhra riots that was on his forehead? Is winning the trust of the Muslim community just a show off or has anything been done for it? Could it bring any change for Hindus or are Hindus still politically neglected like before? Is Sanatan culture being revived under Modi government? What is the situation of anti-Modi and development of the country?
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Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, Suggested Books, पाठ्य-पुस्तक
Vastu Vidya
-15%Hindi Books, Prabhat Prakashan, Religious & Spiritual Literature, Suggested Books, पाठ्य-पुस्तकVastu Vidya
‘अनंत शयन संस्कृत ग्रंथावली’ के तीसवाँ (३०) अंक का प्रसिद्ध ‘वास्तु विद्या’ का यह द्वितीय संस्करण है। यह ११०६वें वर्ष (कोलंबाब्द) में आरम्मुळ वासुदेव मूस महाशय से प्राप्त वास्तु विद्या का केरल भाषा में लिखित व्याख्या के आधार पर, इसी ग्रंथालय में तात्कालिक अध्यक्ष, श्री महादेव शास्त्री के द्वारा प्रस्तुत लघु विवृत्ति नाम के व्याख्यान को अर्थ स्पष्टीकरण के लिए संयोजित किया है। वास्तु संबंधी ज्ञान इस ग्रंथ से प्राप्त हो, अतः इसका ‘वास्तु विद्या’, संज्ञा करण समुचित लगता है।
और यह ‘साधन कथन’ से आरंभ होकर, ‘मृल्लोष्ट विधान’ तक सोलह अध्यायों में सगुंफित है। ग्रंथ के सोलहवें अध्याय के अंत में, समाप्ति प्रकटन का कोई दूसरा वाक्य उपलब्ध नहीं है। ‘इति वास्तु विद्या समाप्त’, ऐसा दृश्यमान होने पर भी—
“दारुस्वीकरणं वक्ष्ये निधिगेहस्य लक्षणे।”
(अध्याय १३)
अर्थात् निधि गेह के लक्षण में दारु ग्रहण (लकड़ी का चयन) करना बताऊँगा।
इस प्रकार ग्रंथकर्ता के ‘दारुस्वीकरण’ आदि स्वयं की वचनबद्धता से बोध के अभाव से (अज्ञानता या भ्रम के कारण) लेखक के द्वारा (‘इति वास्तु विद्या समाप्त’ ऐसा) लिखित होना संभावित होता है।
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Hindi Sahitya Sadan, इतिहास, ऐतिहासिक उपन्यास
Mopla (Hindi) – Veer Savarkar
मोपला अर्थात मुझे इससे क्या यह पुस्तक केरल में हुए हिन्दू नरसंहार के ऊपर आधारित है एवं इस पुस्तक में हिंदुओं की कमज़ोरी पर ध्यान दिया गया है । हर हिन्दू को यह पुस्तक जरूर पढ़नी चाहिए और वीर सावरकर ने हिंदुओ की जिस कमज़ोरी को इस पुस्तक में बताया है उस से छुटकारा पाना चाहिए । मालाबार का भीषण रक्त पात व हिंदू वीनाओं का मार्मिक उपन्यास आधुनिक युग के महान क्रांतिकारी Vinayak Damodar Savarkar की लेखनी से लिखा मुसलमानों की मनोवृति का यथार्थ जीवन चित्रण।
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Vohra committee Report Some part Published by Outlook, 1996
After the 1993 Bombay blasts, the Home Ministry collected considerable information on the links between Congress politicians and the underworld. The details of this investigation were submitted to the Vohra Committee.
Excerpts: Underworld Operator Political/Bureaucratic Patronage
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Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, सही आख्यान (True narrative)
Islam Aur Communism (PB)
Abrahamic religions (अब्राहमिक मजहब), Akshaya Prakashan, Hindi Books, Suggested Books, सही आख्यान (True narrative)Islam Aur Communism (PB)
हिन्दू रक्षा-शिक्षा के लिए एक अनिवार्य पुस्तक। तीन अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों की चेतावनी जैसे विश्लेषण-विवरण की हिन्दी में सारभूत प्रस्तुति।
इस्लाम के अनुसार अच्छा मुसलमान वह है जो प्रोफेट के सुन्ना का पालन करता है। यही एकमात्र निर्धारक है। यदि इस्लाम को जानना है तो सदैव मुहम्मद की ओर देखें, न कि किसी नेता, विद्वान या मौलाना को। तभी आपको सत्य मिलेगा। वरना धोखे खाने की ही पूरी संभावना है।… इस्लाम द्वारा दूसरों के साथ सह-अस्तित्व की सारी बातें सदैव अस्थाई होती हैं।… इसलिए पहले इस्लामी सिद्धांत व इतिहास जान कर ही सच्चाई समझे। यह अब कठिन नहीं रहा। तभी जरूरी है कि इस्लाम के सिद्धांत और व्यवहार के इतिहास को पूरी तरह जानने की व्यवस्था करना अनिवार्य कर्तव्य है। Islam denies coexistence
इस्लाम के साथ सामंजस्य का मतलब है उस की ओर से आती रहने वाली क्रमशः अंतहीन माँगें (डॉ. अंबेदकर ने कहा था, ‘मुसलमानों की माँगे हनुमान जी की पूँछ की तरह बढ़ती जाती हैं’) पूरी करते जाना। प्रोफेट मुहम्मद अपनी माँगों में कभी नहीं रुके,जब तक कि उन की 100% माँगें पूरी नहीं हो गईं। वही मुसलमानों के आदर्श हैं। इसलिए काफिरों के लिए कोई आसानी का रास्ता नहीं।
उन्हें समझ लेना होगा कि इस्लाम उस एक चीज – जिहाद – को कभी नहीं छोड़ेगा, जिस से उसे आज तक सारी सफलता मिली! इस्लाम की सारी सफलता राजनीतिक समर्पण की माँग, दोहरेपन और हिंसा पर आधारित है। बेचारा काफिर जो बदलना चाहता है वह यही चीज है – हिंसा, दबाव, हुज्जत, और राजनीति। जबकि काफिर से समर्पण की माँग करना और हिंसा करना, यही इस्लाम की सफलता का गुर रहा है। अतः हिंसा, दबाव, हुज्जत, और माँगें कभी नहीं रुकने वाली, क्योंकि वह 1400 वर्षों से काम कर रही हैं। आज तो वह पहले किसी भी समय से अधिक काम कर रही हैं! भारत में ही किसी भी हिन्दू नेता का भाषण सुन लीजिए।
यह पुस्तक राजनीतिक इस्लाम और कम्युनिज्म के स्वरूपों पर, भिन्न-भिन्न देशों के तीन बड़े विद्वानों के प्रमाणिक
आकलनों की एक प्रस्तुति है। वर्तमान अंतरराष्ट्रीय स्थिति को समझने में भी यह सहायक हो सकती है।SKU: n/a -
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Statement in solidarity with Mr. Prashant Bhushan
Of late scores of intellectuals, common man, reporters, so-called social activists, Retd. judges, Ex IASs have joined hands to support the removal of SC proceedings (contempt of court) against Advocate Prashant Bhushan. Download this FREE PDF which contains the statement in solidarity with Mr. Prashant Bhushan endorsing the withdrawal of contempt proceedings.
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Kejriwal Truth or Conspiracy eBook
1- अन्ना – अरविंद आंदोनलन के पीछे खड़ी थी ‘टीम सोनिया’!
2- अन्ना के गिरफ़्तारी से लेकर ‘आआपा’ (AAP) के निर्माण तक सब कुछ था फ़िक्स!
3- भारत में राजनैतिक अस्थिरता के लिए विदेशी फ़ंडिंग का खेलअभी डाउनलोड करें और जाने ऐसे और भे सनसनी ख़ुलासे इस ebook में।
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Harf Media Private Limited, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)
Jo Bhi Kahoonga Sach Kahoonga (PB)
Harf Media Private Limited, राजनीति, पत्रकारिता और समाजशास्त्र, सही आख्यान (True narrative)Jo Bhi Kahoonga Sach Kahoonga (PB)
प्रस्तुत पुस्तक अजीत भारती की चौथी पुस्तक है। व्यंग्य की विधा में ‘बकर पुराण’ से अपनी अलग पहचान बना चुके लेखक ने दोबारा उसी विधा में वापसी की है। ‘जो भी कहूँगा, सच कहूँगा’ राजनैतिक व्यंग्य संग्रह है जिसमें भारत की न्यायिक व्यवस्था, नेताओं और पार्टियों समेत चौथे स्तंभ मीडिया पर चुभते हुए कटाक्ष हैं। जज और न्यायालयों पर उनके द्वारा लिखे कटाक्ष से सरकार इतनी हिल गई कि भारत के अटॉर्नी जनरल ने लेखक पर सुप्रीम कोर्ट में आपराधिक अवमानना (क्रिमिनल कन्टेम्प्ट) का केस चलाने की अनुमति दे दी। उनकी अन्य पुस्तकों में एक लघु उपन्यास ‘घरवापसी’ और एक कथा संग्रह (अंग्रेजी में) ‘There Will Be No Love’ शामिल हैं। अजीत भारती 12 वर्षों से पत्रकारिता और साहित्यिक लेखन करते रहे हैं। वर्तमान में वो ‘DO Politics’ के सह-संस्थापक और संपादक के रूप में पत्रकारिता में सक्रिय हैं।
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Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति, सही आख्यान (True narrative)
Indra Vijay
Hindi Books, Rajasthani Granthagar, Suggested Books, ऐतिहासिक नगर, सभ्यता और संस्कृति, वेद/उपनिषद/ब्राह्मण/पुराण/स्मृति, सही आख्यान (True narrative)Indra Vijay
An Old and Rare Book
पण्डित मधुसूदन ओझा ग्रन्थमाला 6 – इन्द्रविजयः – पण्डित मधुसूदन ओझा शोध प्रकोष्ठ | Pandit Madhusudan Ojha Granthamala 6 – Indravijay – Pt. Madhusudan Ojha Research CellSKU: n/a -
English Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)
MAHARANAS: A Thousand Year War for Dharma
-20%English Books, Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, जीवनी/आत्मकथा/संस्मरण, सही आख्यान (True narrative)MAHARANAS: A Thousand Year War for Dharma
पंचमक्कारों के नरेशन्स को ध्वस्त करने वाली पुस्तक इस्लामी आक्रमणकारियों के गौरवशाली हिंदू प्रतिरोध पर आधारित है। अपनी कॉपी को आज ही बुक करें और अपने दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों को भी ऐसा करने के लिए कहें। और इतिहास निर्माण का हिस्सा बने।
The book that is going to become as sacred as scriptures in each Hindu home. The book that will destroy the lies woven around the glorious Hindu resistance for one thousand uninterrupted years to Islamic invaders of various hues.
The book that will reveal the truth of the greatest Dynasty, not just the greatest Hindu Dynasty, not just the greatest Dynasty of Bharat, but the greatest Dynasty in the world: The Sisodiyas of Mewad. The Avataras who fought invaders non-stop for 1000 years, who endured all hardships, who refused to surrender even when their kingdom was encircled by enemies on all sides, who lived like nomads, but refused to give up. The Dynasty because of which Kesaria still flies on the sacred land of Bharat.
The book questions the whitewash of the deeds and lives of the great Maharanas, especially the greatest of them; Maharana Pratap Singh.
Written by a passionate practicing surgeon who brings the same incisiveness, exactness, and accuracy to the study of the history of this great Dynasty, as his profession.
The book that will arouse in you the sleeping kshatriya, and will remind you that honour and pride do not define the man, they are the man.
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Hindu Rights Forum, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
Desh Vibhajan Ka Khooni Itihaas (PB)
देश विभाजन का खुनी इतिहास
(लेखक, पुस्तक एवं विषय परिचय)गोपाल दास खोसला, बी.ए. ऑनर्स, कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने इण्डियन सिविल सर्विस (आई.सी.एस.) के न्यायिक प्रभाग में अपनी सेवा प्रदान की और पंजाब उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद से सेवा निवृत्त हुए। वे अनेक लघु कथाओं, उपन्यासों, ऐतिहासिक उपन्यासों, संस्मरणों, याश वृत्तान्तों, राजकीय अनुसंधान प्रतिवेदनों और आत्मया के लेखक हैं।
उच्च न्यायालय में ‘गांधी मर्डर केस की सुनवाई पीठ में न्यायाधीश के रूप में भागीदारी से आपकी देश भर में प्रसिद्धि हुई। अपनी पुस्तक “स्टर्न रियलिटी” में आप ने ‘गांधी मर्डर केस’ की सुनवाई का विवरण देते हुए एक महत्त्वपूर्ण टिप्पणी की है, “खचाखच भरे न्यायालय में नाथूराम गोड्से के बयान के बाद उपस्थित जनसमूह से यदि निर्णय देने को कहा जाता तो वे बहुमत से गोड्से को दोषमुक्त होने का निर्णय देते।” इससे गाँधाजी के प्रति उस समय जनसमूह में असंतोष और रोष की झलक मिलती है।
यह पुस्तक 1949 में पहली बार प्रकाशित हुई थी। विभाजन के समय दंगों, कत्लेआम हताहतों की संख्या और राजनीतिक घटनाओं को यह दस्तावेजी स्वरूप प्रदान करती है, जिनके कारण भारत का दो भागों, भारत और पाकिस्तान के रूप में विभाजन हुआ। इसके प्रकाशन से लेकर आज तक के साठ वर्षों में यह इतिहासकारों के लिए आधार ग्रंथ बन चुकी है। 1946-47 की घटनाओं के प्रामाणिक लेखन और राजनीतिक- ऐतिहासिक परिदृश्य धारण करने में इसका मूल्य निहित है, जो उस अवधि में घटित घटनाओं का प्रतिनिधित्व करती है, जब यह पुस्तक लिखी जा रही थी। यह निजी अवलोकन और तथ्यान्वेषी संगठन के प्रतिवेदनों के आधार पर, जिसने हजारों शरणार्थियों के दिल दहलाने वाली घटनाओं को लिपिबद्ध किया था, से सीधी प्राप्त सूचनाओं पर आधारित है। इसमें घटित घटनाओं के वृत्तांत हैं। यह घटनाओं में लोगों के पूर्वाग्रह या अभिरुचि जनित पक्षपात के प्रामाणिक आलेख के रूप में बहुत रोचक है, जो स्वतंत्रता या विभाजन बहुत बाद के विद्वानों के आलेखों में दृष्टिगोचर नहीं होता।
प्रस्तुत पुस्तक जी. डी. खोसला की अंग्रेजी पुस्तक “स्टर्न रेकनिंग” की हिन्दी में अनुवाद सहित समीक्षा है। यह पुस्तक देश विभाजन के पहले और उसके बाद देश के अनेक हिस्सों में होने वाले उथल-पुथल, जिसमें लाखों लोगों की क्रूर हत्याएँ, उनकी सम्पत्ति की लूट, महिलाओं का अपहरण और बलात्कार, बड़े पैमाने पर बलात् धर्मान्तरण और करोड़ों लोगों को अपने घर और सम्पत्ति का परित्याग कर इधर से उधर अनजान जगहों में आने-जाने को विवश होना पड़ा था, का संग्रह है, जिसे लेखक ने भविष्य के इतिहास के विद्यार्थियों के लिए तैयार किया है। इसकी समीक्षा की आवश्यकता इस लिए महसूस की गई, क्योंकि लेखक की अनेक टिप्पणियाँ सही कारण आधारित प्रतीत नहीं होतीं।
इतने बड़े नृशंस, जघन्य, अमानुषिक और बर्बर अपराधों के पीछे का कारण क्या आर्थिक-राजनीतिक लाभ और तात्कालिक भावावेग मात्र था या यह किसी सुनियोजित योजना का कार्यान्वयन था। इन घटनाओं को उत्पन्न करने वाले कौन से कारण थे? इन कारणों की स्पष्ट समझ होना अतिआवश्यक है; क्योंकि उनके ही आधार पर भविष्य की पीड़ियों को वैसी विपदा से ऋण दिलाने हेतु समुचित मार्गों की खोज की जा सकती है।
पीड़ित समुदायों की आत्मनिष्ठ जीवनधारा और सामाजिक ताना-बाना के अभाव के कारण इस अति गम्भीर समस्या पर विधिवत विचार-विमर्श की प्रक्रिया की शुरुआत नहीं हो सकी। किसी समस्या के समाधान की दिशा में बढ़ने का प्रथम प्रयास उस समस्या को अच्छी तरह समझना होता है। बिना जाने-समझे किसी समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता। चूँकि समस्या विकट है, इसलिए उससे मुँह फेर कर बैठ रहना तो उसे और भी विकट बनाना है। समस्या कितनी भी जटिल हो, उसका सामना कर ही समाधान खोजा जाता है। यह पीड़ित समुदायों के हर वर्ग के व्यक्तियों का कर्तव्य है कि इस अति भयानक समस्या पर ध्यान देकर सामूहिक रूप से उसके समाधान की तलाश करें, अन्यथा उनकी उदासीनता भविष्य की अपनी ही पीढ़ियों के विनाश के लिए जिम्मेदार होगी। उनकी हीनता के कारण समय, उनको अपने ही बच्चों के संहार के लिए अपराधी सिद्ध करेगा। यह समीक्षा उसी दिशा में एक लघु प्रयास है।
चूंकि यह पुस्तक एक ही प्रकार की क्रूर एवं खूनी घटनाओं का संग्रह है, इसलिए उबाऊ भी है। मात्र हास्य-विनोद में रुचि रखने वाले थोड़े पाठकों के लिए यह ललित निब नहीं हैं, वरन पूर्व पीड़ित समुदायों के सौ प्रतिशत लोगों के जीवन, सम्पत्ति, महिलाओं की प्रतिष्ठा, स्वाभिमान और सम्पूर्ण सांस्कृतिक मूल्यों के अस्तित्व के दाँव पर होने की भयंकर समस्या से संबंधित है। इसलिए ध्यानपूर्वक चिन्तन करते हुए धीरे-धीरे पूरी पुस्तक को अवश्य पढ़ना चाहिए, और प्रत्येक जिम्मेवार व्यक्ति को पढ़ना चाहिए; जिससे समस्या के समाधान की दिशा में ध्यान मुड़े।
समीक्षात्मक टिप्पणियों का वास्तविक उद्देश्य सत्य का उद्घाटन है, किसी की भावना को आहत करना नहीं। मनुष्य अपनी विशिष्ट प्रकृति के कारण ही अन्धविश्वासों और पाखण्डों का शिकार बनता है, जो विध्वंस और विनाश के स्रोत हैं। वह उनका अभ्यस्त बन कर और स्वहितों से तालमेल बिठाकर असत्य धारणाओं के साथ जीने लगता है। सत्य से आहत होता है और प्रतिक्रिया स्वरूप आघात करता है। किन्तु मानव कल्याण हेतु सत्य का अनुसरण ही सर्वोत्तम मार्ग है, जो औचित्य और न्याय की बोध दृष्टि प्रदान करता है।
मनुष्य के कल्याण और सर्वोन्नति का यही एकमात्र मार्ग है। इसलिए विवेक जागृत करना, अंधविश्वासों और पाखण्डों की पहचान कर उनका त्याग करना, सत्य का अनुसंधान करना और सत्य मार्ग का अनुसरण करना ही मनुष्य का उचित और वास्तविक कर्तव्य है।
कम लागत में अधिकतर लोगों तक शीघ्रता से पहुँचाने के उद्देश्य से आरम्भ में पुस्तक को तीन खण्डों में बनाने का विचार था, इसलिए तीनों खण्डों को अपने आप में सामान्य जानकारी योग्य बनाने में समीक्षा में पुनरोक्ति दोष आया है। पाठक को इसे इसी रूप में लेना चाहिए।
अन्त में मेरे प्रेरणा स्रोत, परम श्रद्धेय डॉ. कृष्ण वल्लभ पालीवाल जी, अध्यक्ष, हिन्दू राइटर्स फोरम, नई दिल्ली के स्नेह का स्मरण और कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ, जिनसे सतत ऊर्जा पाकर इस कार्य को पूरा कर सका।
पुस्तक की तैयारी के विभिन्न चरणों में विभिन्न प्रकार के निरन्तर सहयोग के लिए मैं सर्वश्री किशोर कुमार, रवि कुमार, प्रिंस, सिद्धान्त कुमार और उनके मित्रों को धन्यवाद अर्पित करता हूँ।
श्री महेन्द्र कुमार गुप्ता के इस कार्य और विषय में विशेष रुचि के साथ शब्द संयोजन के उनके सहर्ष अथक प्रयास की सराहना के साथ आभार व्यक्त करता हूँ।
शब्द संयोजन या अन्य किसी त्रुटि के लिए पाठकों द्वारा दिए गए सुझाव के लिए मैं कृतज्ञ रहूँगा ।
-सच्चिदानन्द चतुर्वेदी
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National Education Policy 2020 – Full Paper
This National Education Policy, 2020 is the first education policy of the 21st century and aims to address the many growing developmental imperatives of our country.
The gap between the current state of learning outcomes and what is required must be bridged through undertaking major reforms in the Indian Education system that bring the highest quality, equity, and integrity into the system, from early childhood education through higher education.
Download the FREE PDF document to read the full National Education Policy, 2020.
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Rajpal and Sons, पाठ्य-पुस्तक, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोश
Sanskrit Swayam Shikshak | संस्कृत स्वयं-शिक्षक
-10%Rajpal and Sons, पाठ्य-पुस्तक, भाषा, व्याकरण एवं शब्दकोशSanskrit Swayam Shikshak | संस्कृत स्वयं-शिक्षक
Sanskrit Self Learner An easy guide to learning Sanskrit on your own without attending any classes or going to a teacher. * Written by the renowned Sanskrit scholar, Shripad Damodar Satvalekar, complete with self-testing exercises, the book has proved popular both with students as well as educational institutions. Bi-lingual
संस्कृत स्वयं शिक्षक किसी भी कक्षा में भाग लेने या शिक्षक के पास जाए बिना अपने दम पर संस्कृत सीखने के लिए एक आसान गाइड * प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, श्रीपाद दामोदर सातवलेकर द्वारा लिखित, आत्म-परीक्षण अभ्यासों के साथ, यह पुस्तक छात्रों और शैक्षिक संस्थानों के साथ लोकप्रिय साबित हुई है। द्वि-बहुभाषी”
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Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)
1857 Ka Swatantraya Samar
-10%Prabhat Prakashan, Suggested Books, इतिहास, सही आख्यान (True narrative)1857 Ka Swatantraya Samar
Vinayak Damodar Savarkar
वीर सावरकर रचित ‘1857 का स्वातंत्र्य समर’ विश्व की पहली इतिहास पुस्तक है, जिसे प्रकाशन के पूर्व ही प्रतिबंधित होने का गौरव प्राप्त हुआ। इस पुस्तक को ही यह गौरव प्राप्त है कि सन् 1909 में इसके प्रथम गुप्त संस्करण के प्रकाशन से 1947 में इसके प्रथम खुले प्रकाशन तक के अड़तीस वर्ष लंबे कालखंड में इसके कितने ही गुप्त संस्करण अनेक भाषाओं में छपकर देश-विदेश में वितरित होते रहे। इस पुस्तक को छिपाकर भारत में लाना एक साहसपूर्ण क्रांति-कर्म बन गया। यह देशभक्त क्रांतिकारियों की ‘गीता’ बन गई। इसकी अलभ्य प्रति को कहीं से खोज पाना सौभाग्य माना जाता था। इसकी एक-एक प्रति गुप्त रूप से एक हाथ से दूसरे हाथ होती हुई अनेक अंत:करणों में क्रांति की ज्वाला सुलगा जाती थी।
पुस्तक के लेखन से पूर्व सावरकर के मन में अनेक प्रश्न थे—सन् 1857 का यथार्थ क्या है? क्या वह मात्र एक आकस्मिक सिपाही विद्रोह था? क्या उसके नेता अपने तुच्छ स्वार्थों की रक्षा के लिए अलग-अलग इस विद्रोह में कूद पड़े थे, या वे किसी बड़े लक्ष्य की प्राप्ति के लिए एक सुनियोजित प्रयास था? यदि हाँ, तो उस योजना में किस-किसका मस्तिष्क कार्य कर रहा था? योजना का स्वरूप क्या था? क्या सन् 1857 एक बीता हुआ बंद अध्याय है या भविष्य के लिए प्रेरणादायी जीवंत यात्रा? भारत की भावी पीढ़ियों के लिए 1857 का संदेश क्या है? आदि-आदि। और उन्हीं ज्वलंत प्रश्नों की परिणति है प्रस्तुत ग्रंथ—‘1857 का स्वातंत्र्य समर’! इसमें तत्कालीन संपूर्ण भारत की सामाजिक व राजनीतिक स्थिति के वर्णन के साथ ही हाहाकार मचा देनेवाले रण-तांडव का भी सिलसिलेवार, हृदय-द्रावक व सप्रमाण वर्णन है। प्रत्येक भारतीय हेतु पठनीय व संग्रहणीय, अलभ्य कृति!SKU: n/a -
Hindi Books, MANAV PRAKASHAN, Suggested Books, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)
Amit Kaal Rekha Adi Sankaracarya Aur Unka Avirbhav Kaal (507 – 475 Es. Pu.)
-20%Hindi Books, MANAV PRAKASHAN, Suggested Books, इतिहास, संतों का जीवन चरित व वाणियां, सनातन हिंदू जीवन और दर्शन, सही आख्यान (True narrative)Amit Kaal Rekha Adi Sankaracarya Aur Unka Avirbhav Kaal (507 – 475 Es. Pu.)
पुरातात्विक मौद्रिक अभिलेखीय ऐतिहासिक आदि साक्ष्यों से परिपूर्ण शोध – ग्रंथ
एक अद्भुत पुस्तक मेरे हाथ लगी है। राम जन्मभूमि मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सबसे अधिक समय तक बहस करने और स्कंद पुराण से श्रीराम जी के जन्म स्थल को पुरातात्विक साक्ष्यों से प्रमाणित करने वाले शंकराचार्य के वकील डॉ पी.एन.मिश्रा ने आदि शंकराचार्य की जन्मतिथि और काल निर्धारण के लिए अत्यंत श्रम साध्य कार्य करते हुए जो शोध प्रबंध लिखा है, वह ‘अमिट काल रेखा: आदि शंकराचार्य और उनका आविर्भाव काल'(507-475 ईसा पूर्व) इस पुस्तक के रूप में सामने है। यह पुस्तक दो बार में करीब दो दशक में लिखी गई है।
पहले मैं भी अंधेरे में था और सोचता था कि आदि शंकराचार्य का कार्य महत्वपूर्ण है, उनके जन्मतिथि से क्या लेना? परंतु जब पढ़ा तब पता लगा कि पश्चिमी इतिहासकारों व वितंडावादियों ने मूसा (यहूदी पैगंबर), ईसा(इसाई पैगंबर) और मोहम्मद(इस्लामी पैगंबर) के बाद आदि शंकर के जन्म की चाल क्यों चली? असल में उपनिषदों से एकेश्वरवाद (अद्वैत वेदांत दर्शन) को विश्व में सबसे पहले मजबूती से अदि शंकराचार्य ने स्थापित किया था। अपने दिग्विजय के दौरान उन्होंने शास्त्रार्थ से इसे संसार भर में स्थापित किया था। बाद में इसी एकेश्वरवाद के आधार पर मूसा, ईसा और मोहम्मद ने अपने अपने पंथों की रचना की।
आदि शंकराचार्य के जन्म की तिथि को 1000 साल कम करते ही, अब्राहमिकों की अवधारणा प्रथम हो गई और पश्चिमी इतिहासकारों ने यह वितंडा फैला दिया कि आदि शंकराचार्य ने अब्राहमिकों द्वारा स्थापित एकेश्वरवाद के विस्तार को देखते हुए भारतीयों को एकेश्वरवाद की ओर ले जाने का प्रयास किया!
अर्थात् आदि शंकर के जन्म को 1000 साल घटाते ही अब्राहमिकों को एकेश्वरवाद का क्रेडिट चला गया और सनातन वेदांत की अवधारणा लोगों को विस्मृत हो गई।
पश्चिम की इस साजिश को न समझते हुए कई भारतीय इतिहासकारों व विद्वानों ने भी यही वितंडा फैलाया। मैं स्वयं जनसंघ के संस्थापकों में एक दीन दयाल उपाध्याय की आदि शंकराचार्य पर लिखी पुस्तक को पढ़ कर शंकराचार्य के जन्म के समय केरल में इस्लाम के आगमन पर कंस्टीट्यूशन क्लब में मूर्खतापूर्ण भाषण दे चुका हूं। पी.एन. मिश्रा के इस शोध को पढ़कर मुझे अपनी मूर्खता पर आत्मग्लानि है। और दुख है कि लेफ्ट-राईट दोनों के इतिहासकार एक ही बात दोहराते हैं, बस उनके कहने का तरीका अलग होता है और उनके काल गणना में बस 100-200 वर्ष का अंतर होता है!
पी.एन.मिश्रा जी की इस पुस्तक से बुद्ध संबंधित जो बयान पुरी के शंकराचार्य जी देते हैं, उसकी भी पुष्टि हो जाती है। पुराणों में भगवान विष्णु के अवतार के रूप में आए पूर्व बुद्ध, शुद्धोधन पुत्र सिद्दार्थ गौतम बुद्ध से बहुत पहले थे। सिद्धार्थ बुद्ध से पहले कई और बुद्ध हो चुके हैं, जिनकी पूरी व्याख्या इस पुस्तक में है और यह बौद्ध ग्रंथों में भी है, बस हम सब ने ध्यान नहीं दिया था।
इस पुस्तक से आदि शंकराचार्य के समय राजा सुधन्वा की वंशावली भी मिल गई है। राजा सुधन्वा ने आदि शंकराचार्य के साथ सेना लेकर पुनः सनातन धर्म की स्थापना की थी।
इस पुस्तक से दो प्राचीन नगरों की खोज भी स्थापित होती है।
यह पूरी पुस्तक पुरातात्विक, मौद्रिक, अभिलेखीय, ताम्रपत्र और ऐतिहासिक साक्ष्यों पर आधारित शोध प्रबंध है।
दुख है कि यह पुस्तक अब नहीं मिलती। एक तो यह बहुत मोटी ग्रंथ है, दूसरा इसका मूल्य ₹2500 है। अतः प्रकाशक छापते ही नहीं। प्रकाशक के पास केवल तीन कॉपी बची थी, मैंने मूल्य भेजकर एक कॉपी अपने लिए मंगवा ली।
उनसे बात की कि यदि इच्छुक शोधार्थी या विद्वान पाठक यह पुस्तक मंगवाना चाहें तो कैसे मिलेगा? उनका कहना है कि 10 से अधिक लोगों की मांग यदि आप भेज दें तो डिजिटल प्रिंट करवा कर आपको भेज दूंगा। अतः जिनको वास्तव में आदि शंकराचार्य से जुड़ी वास्तविकता को जानना-समझना हो तो वह 8826291284 पर केवल WhatsApp कर दें। मूल्य न भेजें। 10 से अधिक लोगों का आर्डर यदि आ गया तो मैं मंगवाने का प्रयत्न करूंगा।
आगे इस पुस्तक की महत्वपूर्ण स्थापनाओं को छोटे-छोटे पोस्ट के रूप में भी मैं आपको देता रहूंगा। धन्यवाद।
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National Education Policy 2020 – Hindi
शिक्षा पूर्ण मानव क्षमता को प्राप्त करने, एक न्यायसंगत और न्यायपूर्ण समाज के विकास और राष्ट्रीय विकास को बढावा देने के लिए मूलभूत आवश्यकता है। यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, 21वी शाताब्दी की पहली शिक्षा नीति है जिसका लक्ष्य हमारे देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा करना है।
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